तालिबानी सरकार को इन देशों ने दिया समर्थन तो इन्होंने किया विरोध

अफगानिस्तान में तालिबान की आतंकी सरकार बन गई है. इस सरकार में एक चौथाई मंत्री ऐसे हैं जो पाकिस्तानी मदरसों के न सिर्फ स्टूडेंट रहे हैं, बल्कि अभी भी वहां के मदरसों में इस्लामी शिक्षा के नाम पर आतंकवादी तैयार कर रहे हैं.

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Deepak Pandey
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तालिबानी सरकार को इन देशों ने दिया समर्थन तो इन्होंने किया विरोध( Photo Credit : फाइल फोटो)

अफगानिस्तान में तालिबान की आतंकी सरकार बन गई है. इस सरकार में एक चौथाई मंत्री ऐसे हैं जो पाकिस्तानी मदरसों के न सिर्फ स्टूडेंट रहे हैं, बल्कि अभी भी वहां के मदरसों में इस्लामी शिक्षा के नाम पर आतंकवादी तैयार कर रहे हैं. यही नहीं तालिबानियों की सरकार में 5 मंत्री ऐसे भी हैं, जो अमेरिका की लिस्ट में खूंखार आतंकवादी है और उनके सिर पर करोड़ों रुपये का इनाम भी घोषित है. दरअसल, पाकिस्तान की शह पर तालिबानियों की आतंकी सरकार बनाई गई है. आइये हम आपको बताते दें कि तालिबानी सरकार को किस देशों ने समर्थन दिया है तो कौन इनका विरोध किया है....

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चीन- तालिबान सरकार के समर्थन में है, अफगानिस्तान में तालिबान सरकार के गठन के ऐलान के 24 घंटे के भीतर ही चीन ने मदद के लिए अपना खजाना खोल दिया है. चीन ने अफगानिस्तान के लिए 200 मिलियन युआन (31 मिलियन यूएस डॉलर) मूल्य के अनाज, सर्दियों के सामान और कोरोना वायरस वैक्सीन की मदद देने का ऐलान किया है.

रूस- भारत में नियुक्‍त रूस के राजदूत निकोले कुदाशेव ने ये स्‍पष्‍ट किया है कि वो तालिबान की सरकार को मान्‍यता देने की जल्‍दबाजी में नहीं है. उन्‍होंने ये भी कहा है कि वो इस मुद्दे पर भारत के साथ खड़ा है. हालांकि, काबुल पर कब्‍जे से पहले तालिबानी नेताओं ने रूस में ही कई बार प्रेस कांफ्रेंस कर अपनी भावी योजनाओं की जानकारी दी थी. इस दौरान इन नेताओं ने रूसी नेताओं से बात भी की थी. वहीं, काबुल पर कब्जे के बाद रूस ने इसको बड़ी जीत बताया था. रूस के विदेश मंत्री ने यहां तक कहा था कि अफगानिस्‍तान में अशरफ गनी की सरकार से बेहतर तालिबान का आना है. इसके बाद भी कई मर्तबा तालिबानी नेताओं और रूस के नेताओं की आपस में बातचीत हुई है.

ब्रिटेन- ब्रिटेन के विदेश मंत्री डोमिनिक राब ने कहा है कि अफगानिस्तान का सामाजिक और आर्थिक ताना-बाना टूटते हुए नहीं देखना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि तालिबान के सहयोग के बिना 15 हजार लोगों को निकालने का प्रबंध नहीं हो सकता है. डोमिनिक राब ने आगे कहा कि हमारा रुख यही होगा कि तालिबान को मान्यता नहीं देंगे, लेकिन उससे प्रत्यक्ष बातचीत करके राहत कार्यों को अंजाम दिया जाएगा.

भारत- संयुक्त राष्ट्र में शांति की संस्कृति पर आयोजित बैठक में भारत ने बिना किसी का नाम लिए कहा है कि वैश्विक महामारी में भी असहिष्णुता, हिंसा और आतंकवाद में बढ़ोतरी देखी जा रही है. आतंकवाद धर्मों और संस्कृतियों का भी विरोधी है. धर्म का इस्तेमाल आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने वालों और उनका समर्थन करने वालों को सही ठहराने के लिए नहीं किया जा सकता.

पाकिस्तान- पाकिस्तान के प्रधानमंत्री पहले ही खुलकर तालिबान का समर्थन कर चुके हैं

अमेरिका- जो बाइडन ने कहा कि चीन, पाकिस्तान, रूस और ईरान यह समझ नहीं पा रहे हैं कि तालिबान के साथ उन्हें क्या करना है. व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि तालिबान सरकार को मान्यता देने की जल्दी नहीं है. यह इस पर निर्भर करेगा कि तालिबान आगे क्या कदम उठाता है. अमेरिका समेत पूरी दुनिया की नजर तालिबान पर है.

यूरोपीय संघ- यूरोपीय संघ ने कहा कि वह अफ़ग़ानिस्तान से अपने लोगों को निकालने की प्रक्रिया की निगरानी करने और नई अफ़ग़ान सरकार के सुरक्षा और मानवाधिकारों जैसे मुद्दों पर प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए काबुल में राजनयिक मिशन को फिर से स्थापित करने की योजना बना रहा है. यूरोपीय संघ की विदेश नीति के प्रमुख जोसेफ बोरेल ने कहा कि कड़ी शर्तो के तालिबान से संपर्क बनाएंगे, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वह नई अफगान सरकार को मान्यता देंगे. अफगानी आबादी का साथ देने के लिए वहां की मौजूदा सरकार से संपर्क साधना जरूरी है.

Source : Sajid Ashraf

Mullah Hassan Akhund Talibani government afghanistan
      
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