भविष्य में अमेरिका-चीन के बीच संबंधों में सुधार की कम उम्मीद
स बैठक को लेकर उम्मीद की जा रही थी कि इससे दोनों देशों के संबंधों पर जमीं बर्फ पिघल सकेगी. लेकिन बैठक में ये बात सामने आई कि इसके लिए दोनों ही तरफ से कुछ रियायतें सामने वाले को देनी होंगी.
highlights
- बैठक अमेरिका के उप विदेश मंत्री वेंडी शरमन और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच हुई थी
- बैठक का असल मकसद आपसी प्रतिद्वंदिता को विवाद का रूप देने से बचाना था
- बैठक में दोनों की ही तरफ से सख्त रवैया देखने को मिला
वाशिंगटन :
अमेरिका और चीन के नेताओं की बीच हुई बातचीत में आखिरकार कोई नतीजा नहीं निकला और ये बिना किसी सहमति के खत्म हो गई. ये बैठक अमेरिका के उप विदेश मंत्री वेंडी शरमन और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच की उत्तरी चीन के तटीय शहर तियानजिन में हुई थी. इस बैठक का असल मकसद आपसी प्रतिद्वंदिता को विवाद का रूप देने से बचाना था. इस बैठक में दोनों की ही तरफ से सख्त रवैया देखने को मिला है. इस बैठक में ये भी तय नहीं हो सका कि अब दोनों के बीच अगली कब बैठक होगी. इस बैठक को लेकर उम्मीद की जा रही थी कि इससे दोनों देशों के संबंधों पर जमीं बर्फ पिघल सकेगी. लेकिन बैठक में ये बात सामने आई कि इसके लिए दोनों ही तरफ से कुछ रियायतें सामने वाले को देनी होंगी. इस बैठक से ये बात भी सामने आई है कि दोनों देशों के बीच संबंध काफी निचले स्तर पर पहुंच गए हैं.
एक अमेरिकी अधिकारी ने बताया है कि अमेरिका चीन का सहयोग पाने की कोशिश नहीं कर रहा है. अधिकारी का कहना था कि इस बात का फैसला चीन को करना है कि वो संबंधों को मजबूत करने की तरफ कदम बढ़ाने को कितना तैयार है. वहीं इसके उलट चीन की तरफ से कहा गया है कि अब संबंधों को मजबूत करने की गेंद अमेरिकी पाले में है. चीन के विदेश मंत्री की तरफ से कहा गया है कि अंतरराष्ट्रीय नियमों के बारे में चीन को दोबारा विचार करना चाहिए. अमेरिकी विशेषज्ञ बोनी ग्लासर ने कहा कि दोनों में बातचीत बेहद जरूरी है. लेकिन इस बैठक में भविष्य को लेकर कुछ तय नहीं हो सका है. इसका सीधा असर अमेरिका और उसके सहयोगी देशों पर पड़ेगा. हालांकि वे चीन से बहुत अच्छे संबंधों की उम्मीद जरूर कर रहे हैं.
आपको बता दें कि अक्टूबर में जी-20 सम्मेलन भी होना है. इस बैठक में दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्ष हिस्सा लेंगे. हालांकि व्हाइट हाउस की प्रवक्ता ने साफ कर दिया है कि इस बैठक में इस बारे में भी कोई बातचीत नहीं हुई है. एक और अमेरिकी विशेषज्ञ एरिक सेयर्स का मानना है कि दोनों ही नेता वार्ता के लिए एकमत नहीं दिखाई दे रहे हैं. गौरतलब है कि इस वर्ष मार्च में अलास्का में दोनों देशों के नेताओं की पहली मुलाकात हुई थी. लेकिन इस दौरान दोनों ही एक दूसरे पर आरोप लगाते नजर आए थे. अलास्का की बैठक के बाद दोनों ही तरफ से तीखे बयान भी सामने आए थे. इस बार भी कमोबेश ऐसा ही हाल रहा. हालांकि बैठक के बाद कुछ अधिकारियों ने कहा है कि बैठक काफी अच्छी रही है. इन अधिकारियों का ये भी कहना था कि इसमें दोनों देशों के बीच अलास्का बैठक की तरह चीजें सामने नहीं आइ हैं. हालांकि इसके बावजूद भी दोनों ही तरफ से आगे वार्ता को लेकर न तो कोई तारीख ही सामने रखी गई और न ही आगे बढ़ने की राह का ही कोई खुलासा हुआ. इस बैठक में अमेरिका की तरफ से चीन पर कानून-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के उलट चलने का आरोप लगाया गया. अमेरिका ने चीन के विदेश मंत्री के सम्मुख हांगकांग में लोकतंत्र समर्थकों और शिनजियांग में उइगरों और दूसरे अल्पसंख्य समुदायों के खिलाफ चीन की दमनकारी नीति का मुद्दा उठाया. इसके अलावा इस बैठक में अमेरिका की तरफ से तिब्बत में मानवाधिकारों का हनन का भी मुद्दा उठाया गया.
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