पाक की पहली हिंदू लड़की बनीं DSP, जानें संघर्षों की पूरी कहानी
पाकिस्तान के पिछड़े और छोटे से जिले जाकूबाबाद की एक हिंदू लड़की ने वो कर दिखाया है, जो पाकिस्तान में पहले कभी नहीं हुआ था. उस हिंदू लड़की का नाम है मनीषा रुपेता , जो देश की पहली हिंदू लड़की है
highlights
- देश की पहली हिंदू लड़की बनीं DSP
- सिंध लोकसेवा आयोग की परीक्षा पास कर बनीं DSP
- संघर्षों के बाद मनीषा बनीं DSP
नई दिल्ली:
पाकिस्तान के पिछड़े और छोटे से जिले जाकूबाबाद की एक हिंदू लड़की ने वो कर दिखाया है, जो पाकिस्तान में पहले कभी नहीं हुआ था. उस हिंदू लड़की का नाम है मनीषा रुपेता , जो देश की पहली हिंदू लड़की है, जो डीएसपी (DSP)बनी हैं. किसी हिंदू लड़की के सिंध लोकसेवा आयोग की परीक्षा पास करना और डीएसपी बनना अपने आप में बहुत बड़ी उपलब्धि है. मनीषा रुपेता के लिए ये राह इतनी आसान नहीं थी. उन्होंने भले ही सिंध लोक सेवा की परीक्षा पास करने और प्रशिक्षण हासिल करने के बाद यह उपलब्धि हासिल की है. इसे हासिल करने के लिए उन्हें काफी जद्दोजहद से गुजरना पड़ा. छोटे से और पिछड़े जिले जाकूबाबाद की रहनेवाली मनीषा के पिता का निधन तब हो गया जब वो 13 साल की थीं. पिता की मौत के बाद उनकी मां ने हिम्मत दिखाई और अपने पांच बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए करांची आ गईं. मनीषा की तीन बहनें और एक छोटा भाई है. मनीषा अपने संघर्षों के दिनों को याद करते हुए बताती है कि जाकूबाबाद में लड़कियों को अपने हिसाब से पढ़ने लिखने की अनुमति नहीं दी जाती थी. औऱ अगर किसी को पढाई करनी होती थी तो उसे केवल मेडिकल की पढ़ाई करने दी जाती थी. इस वजह से मनीषा की तीनों बहनें एमबीबीएस (MBBS) डॉक्टर हैं, जबकि छोटा भाई मेडिकल मेनेजमेंट की पढाई कर रहा है.
आपको बता दें मनीषा ने भी अपनी बहनों की तरह ही एमबीबीएस की परीक्षा दी, लेकिन वे एक नंबर कम होने की वजह से परीक्षा में पास नहीं कर पाईं. इसके बाद उन्होंने डॉक्टर ऑफ़ फिजिकल थेरेपी की डिग्री ली, लेकिन उन्हें पुलिस की वर्दी बहुत पसंद थी, इसलिए उन्होंने चुपके से किसी को बिना बताए सिंध लोक सेवा आयोग की परीक्षा की तैयारी भी करती थीं. इस मेहनत की बदौलत ही उन्होंने लोक सेवा आयोग की परीक्षा में ना केवल कामयाबी हासिल की बल्कि 16वां रैंक लेकर लाईं.
मनीषा का कहना है कि पाकिस्तान में आम तौर पर महिलाएं पुलिस स्टेशन और अदालतों के अंदर नहीं जाती हैं. यहां आने वाली महिलाएं पुरुषों के साथ आती हैं. ये देखकर मुझे लगता था कि इस धारणा को बदलना चाहिए कि अच्छे परिवार की लड़कियां पुलिस स्टेशन नहीं जाती हैं. मुझे हमेशा पुलिस का पेशा आकर्षित करता रहा और प्रेरित भी करता रहा.मुझे हमेशा लगता है कि यह पेशा महिलाओं की स्थिति को औऱ सशक्त बनाता है."
एक इंटरव्यू में मनीषा ने बताया कि महिलाओं में ज़्यादातर पीड़ित महिलाएं हैं, ऐसे में उनकी सुरक्षा करने वाली भी महिलाएं होनी चाहिए. इसी प्रेरणा से मैं हमेशा पुलिस बल का हिस्सा बनना चाहती थी.उन्होंने बताया कि उन्होंने कराची के सबसे मुश्किल इलाके ल्यारी में ट्रेनिंग ली है और इस इलाके में पुलिस विभाग में ऑफ़िसर बनने वाली मनीषा पहली महिला हैं. उन्होंने बताया कि उन्होंने SSP आतिफ़ अमीर की निगरानी में प्रशिक्षण लिया.
मनीषा ने इंटरव्यू में बताया कि "मेरी कामयाबी पर लोग काफ़ी खुश हुए. हमारे समुदाय में भी खुशी देखने को मिली और पूरे देश ने मेरी प्रशंसा की. हर किसी से प्रशंसा सुनने को मिली, लेकिन मनीषा के रिश्तेदारों का मानना था कि थोड़े ही समय में मनीषा ये नौकरी बदल देगी लेकिन ऐसा नहीं"मनीषा का DSP बनाना अपने आप में बहुत बड़ी उपलब्धि है आपको बता दें मनीषा अपनी नौकरी के अलावा लोक सेवा आयोग की परीक्षा की तैयारी कराने वाली एक एकेडमी में पढ़ाती भी हैं. उन्होंने इस बारे में कहा, "यह मेरे लिए काफ़ी प्रेरक है, क्योंकि मुझे लगता है कि मेरी गाइडेंस से कुछ लड़कियों को आगे बढ़ने में मदद मिल सकती है साथ ही साथ उन्होंने ये भी उम्मीद जताई कि आने वाले दिनों में अल्पसंख्यक समुदाय की ज़्यादा से ज़्यादा महिलाएं पुलिस विभाग में शामिल होंगी.
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