अमेरिका के लिए जो 5 तालिबानी थे खतरनाक, वही करेंगे अब अफगानिस्तान पर राज
2014 में तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अमेरिका सेना सार्जेंट बो बर्गडल के रिहा करने के ऐवज में इन कट्टर ‘अफगान फाइव’ को छोड़ दिया था
highlights
- अमेरिका ने इन्हें ‘कट्टर दुश्मन’ की श्रेणी में रखा था
- इन पांचों में अन्य चार लोगों द्वारा मानवाधिकारों के हनन के आरोप आम तौर पर अस्पष्ट रहे हैं
- समूह में सबसे कुख्यात व्यक्ति माना जाने वाला मुल्ला फज़ल मजलूम है
नई दिल्ली:
दोहा में टेबल पर बैठकर अमेरिकी जनरलों और राजनयिकों से बातचीत करने वाले तालिबान के ये 5 लोग कभी अमेरिका के सबसे बड़े दुश्मन हुआ करते थे. अमेरिका ने इन्हें ‘कट्टर दुश्मन’ की श्रेणी में रखा था और इन्हें उच्च जोखिम पैदा करने वाला मानता था. लेकिन 2014 में तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अमेरिका सेना सार्जेंट बो बर्गडल के रिहा करने के ऐवज में इन कट्टर ‘अफगान फाइव’ को छोड़ दिया था. मुल्ला खैरक्वाह, अब्दुल हक वसाक, मुल्ला फजील मजलूम, खैरुल्लाह खैरख्वाह और मोहम्मद नबी को नामक ये तालिबानी फिलवक्त शांति के लिए बातचीत कर रहे हैं.
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समूह में सबसे कुख्यात व्यक्ति माना जाने वाला मुल्ला फज़ल मजलूम, जो कि एक फ्रंट-लाइन कमांडर है जो तालिबान सेना का प्रमुख भी था. इन पांचों में अन्य चार लोगों द्वारा मानवाधिकारों के हनन के आरोप आम तौर पर अस्पष्ट रहे हैं, जबकि मुल्ला मजलूम के खिलाफ इसके काफी ज्यादा सबूत हैं, जिस पर सामूहिक हत्याओं से लेकर हृदय द्रवित करने वाली क्रूरता के आरोप हैं. द न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, पुरुषों की ग्वांतानामो फाइलों में उसके असहयोगात्मक व्यवहार और उकसावे के बारे में कई संकेत मिलते हैं, जिसमें गार्ड पर दूध फेंकना और विरोध में उनके गद्दे फाड़ना शामिल हैं. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ग्वांतानामो दस्तावेजों के अनुसार, मुल्ला खैरख्वा पर मादक पदार्थों की तस्करी और अल कायदा में ओसामा बिन लादेन के आदमियों के साथ जुड़ने का आरोप लगाया गया था. हालांकि उसने सुनवाई में अपने ऊपर लगे दोनों ही आरोपों से इनकार किया.
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दिलचस्प बात यह है कि मार्च 2019 में अमेरिका के साथ अफगानिस्तान में संघर्ष को समाप्त करने के लिए तालिबान के यही पांच लोग, शांति वार्ता में शामिल थे. 2019 में, अफगानिस्तान में संघर्ष को समाप्त करने के लिए जब अमेरिका और तालिबान के बीच गहन बातचीत हुई, तब तालिबान नेतृत्व ने पूर्व कैदियों को शामिल करने पर बात करनी चाही. दोहा की राजधानी कतर में हर दिन बातचीत के दौरान, ये पांच लोग अमेरिकी राजनयिकों और जनरलों के साथ आमने-सामने बैठे. तालिबान सरकार के दौरान ग्वांतानामो बे के पांच पूर्व बंदियों की अलग-अलग भूमिकाएं थीं. मुल्ला खैरख्वा ने एक राज्यपाल और आंतरिक मामलों के कार्यवाहक मंत्री के रूप में कार्य किया. अब्दुल हक वासीक उप खुफिया मंत्री था.
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