रूस में मॉस्को कॉन्सर्ट हॉल पर हमले के बाद देश में मौत सजा को दोबारा लाने की मांग उठ रही है. लोगों का कहना है कि इस घटना ने आतंकवाद को रोकने के लिए सामाजिक चिंताओं को बढ़ाया है. हालांकि इस कानून को लेकर कई लोगों ने चिंता व्यक्त की है. उनका कहना है कि इसका सरकार दुरूपयोग करेगी. इस तरह से यूक्रेन समर्थकों को निशाना बनाया जा सकता है. आपको से बता दें कि रूस में मौत की सजा पर रोक है. मगर इस हमले के बाद लोगों ने इस कानून को फिर से लाने की मांग उठाई है. सरकार ने इस मसले को गंभीरता से लिया है.
हालांकि सरकार ने अभी तक इस पर कोई निर्णय नहीं लिया है. राजनीतिक विवाद के बीच सरकार का कहना है कि हम सोच समझकर निर्णय लेंगे. मॉस्को कॉन्सर्ट हॉल पर हुए हमले में 130 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी. इस हमले में बंदूकधारियों ने एक इमारत पर हमला किया था. हमले के बाद रूस की संसद और अधिकारियों ने सुरक्षा के मामले को गंभीरता से लिया है.
आतंकवादियों के लिए सही कानून होगा
रूसी स्टेट ड्यूमा की सुरक्षा समिति के उप प्रमुख, यूरी अफोनिन का कहना है कि जब आतंकवाद और हत्या के मामले में तेजी देखी जाती है तो मौत की सजा को दोबारा से लाना अहम है. पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव, जो अब सुरक्षा के उप प्रमुख हैं, उनका कहना है कि मौत के बदले मौत आतंकवादियों के लिए सही कानून होगा. उनके इस नारे का समर्थन रूस संसदों के साथ में पुतिन समर्थक दलों ने भी किया है.
किसी आतंकी घटना में शामिल नहीं
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अधिकारियों ने 2023 के मामले भी खोल दिए हैं. ये 143 आतंकवाद से संबंधित आपराधिक केस हैं. ये 2018 से एक साल पहले काफी कम थे. इस माह की शुरुआत में रूस की वित्तीय निगरानी संस्था ने अंतर्राष्ट्रीय एलजीबीटी आंदोलन को अपनी आतंकियों और चरमपंथियों की काली सूची में रखा था. कुछ सांसदों का कहना है कि अभी कई ऐसे लोग भी जेल में बंद हैं जो किसी आतंकी घटना में शामिल नहीं हैं. राजनीतिक समीक्षकों ने इस कानून पर चिंता जताई है. उनका मानना है कि इस तरह से क्रेमलिन के विरोधियों और यूक्रेन के समर्थको को निशाना बनाने की कोशिश हो रही है.
Source : News Nation Bureau