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LAC पर तनातनी के बीच चीन ने बदला सीमा कानून, भारत संग बढ़ेगा विवाद

अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) और उत्तराखंड (Uttarakhand) में घुसपैठ जैसी उकसावेपूर्ण कदमों के बीच चीन अपने भूमि सीमाई क्षेत्र के संरक्षण और शोषण पर एक नया कानून लेकर आया है.

Updated on: 25 Oct 2021, 06:50 AM

highlights

  • चीन अपने भूमि सीमाई क्षेत्र के संरक्षण और शोषण पर नया कानून लाया
  • एनपीसी में पारित कानून अगले साल 1 जनवरी से आ जाएगा अमल में
  • इसका असर असर भारत के साथ बीजिंग के सीमा विवाद पर पड़ना है तय

बीजिंग:

सीमा विवाद (Border Dispute) के बीच विद्यमान तनाव को कम करने के प्रयासों के बीच चीन कोई न कोई ऐसा कदम उठा रहा है, जो दिल्ली-बीजिंग के रिश्तों को सामान्य नहीं होने दे रहा है. इस कड़ी में अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) और उत्तराखंड (Uttarakhand) में घुसपैठ जैसी उकसावेपूर्ण कदमों के बीच चीन अपने भूमि सीमाई क्षेत्र के संरक्षण और शोषण पर एक नया कानून लेकर आया है. इस कानून का मकसद सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे और अन्य विकास कार्यों को प्रोत्साहित करते हुए देश की क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा पर जोर देना है. समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के मुताबिक नेशनल पीपुल्स कांग्रेस (एनपीसी) की स्थायी समिति के सदस्यों ने शनिवार को इस कानून को मंजूरी दी, जो अगले साल 1 जनवरी से अमल में आ जाएगा. इसका असर असर भारत (India) के साथ बीजिंग (Beijing) के सीमा विवाद पर पड़ना तय है.

अहिंसा की बात कर आक्रामक नीति पर जोर
शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार चीन के नए कानून में कहा गया है, 'चीन के जनवादी गणराज्य की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता पवित्र और अहिंसक है.' इस कानून में आगे भी कहा गया है कि राज्य ना सिर्फ क्षेत्रीय अखंडता और भूमि की सीमाओं की रक्षा के लिए उपाय करेगा, बल्कि क्षेत्रीय संप्रभुता और भूमि की सीमाओं को कमजोर करने वाले किसी भी तत्व से अपनी रक्षा करेगा और उसका मुकाबला करेगा. इस बात का आशय कहीं न कहीं भारत और बीजिंग के अन्य पड़ोसी देशों के साथ चल रहे सीमा विवाद से भी जुड़ता है.

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क्या है नया भूमि सीमा कानून
कानून में यह भी कहा गया है कि सीमा सुरक्षा को मजबूत करने, आर्थिक एवं सामाजिक विकास में मदद देने, सीमावर्ती क्षेत्रों को खोलने, ऐसे क्षेत्रों में जनसेवा और बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने, उसे बढ़ावा देने और वहां के लोगों के जीवन एवं कार्य में मदद देने के लिए देश कदम उठा सकता है. वह सीमाओं पर रक्षा, सामाजिक एवं आर्थिक विकास में समन्वय को बढ़ावा देने के लिए उपाय कर सकता है. कानून के अनुसार देश समानता, परस्पर विश्वास और मित्रतापूर्ण वार्तालाप के सिद्धांतों का पालन करते हुए पड़ोसी देशों के साथ जमीनी सीमा संबंधी मुद्दों से निबटेगा और काफी समय से लंबित सीमा संबंधी मुद्दों और विवादों को उचित समाधान के लिए वार्ता का सहारा लेगा. यानी चीनी सेना अभ्यास कर हमलों, अतिक्रमण, उकसावे एवं अन्य गतिविधियों को दृढ़ता से रोकने के लिए सीमा पर अपनी जिम्मेदारी निभाती रहेगी.

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चीन का सीमा पर बुनियादी ढांचा मजबूत 
गौरतलब है कि चीन ने बीते कई सालों में सीमा पर अपने बुनियादी ढांचे को मजबूत किया है. उसने न सिर्फ हवाई, रेल और सड़क नेटवर्क का विस्तार किया है, बल्कि तिब्बत में बुलेट ट्रेन भी चला दी है. यह बुलेट ट्रेन अरुणाचल प्रदेश के सीमावर्ती कस्बे नींगची तक जाती है. जाहिर है इस नये कानून में सीमाओं पर व्यापार क्षेत्रों की स्थापना तथा सीमा आर्थिक सहयोग क्षेत्र बनाने का प्रस्ताव है. यहां यह भी नहीं भूलना चाहिए कि बीजिंग ने अपने 12 पड़ोसियों के साथ तो सीमा विवाद सुलझा लिए हैं, लेकिन भारत और भूटान के साथ उसने अब तक सीमा संबंधी समझौते को अंतिम रूप नहीं दिया है. भारत और चीन के बीच सीमा विवाद वास्तविक नियंत्रण रेखा पर 3,488 किलोमीटर के क्षेत्र में है, जबकि भूटान के साथ चीन का विवाद 400 किलोमीटर की सीमा पर है.