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अफगानिस्तान की इस्लामिक अमीरात सरकार को मान्यता मिलने में देरी पर भड़का तालिबान

तालिबान ने अफगानिस्तान की इस्लामिक अमीरात सरकार को मान्यता देने में हो रही देरी पर अमेरिका को कड़ी चेतावनी जारी की है.

Updated on: 01 Nov 2021, 09:36 AM

highlights

  • तालिबान ने 15 अगस्त को अशरफ गनी सरकार को अपदस्य कर काबुल पर कब्जा जमाया था
  • अमेरिका ने तालिबान सरकार की घोषणा के बाद ही सभी फंड को सीज कर दिया था
  • इस कारण अफगानिस्तान गंभीर आर्थिक और मानवीय संकट का सामना कर रहा है

काबुल:

तालिबान ने अफगानिस्तान की इस्लामिक अमीरात सरकार को मान्यता देने में हो रही देरी  पर अमेरिका को कड़ी चेतावनी जारी की है. तालिबान ने पूरी दुनिया के देशों से अपील कर कहा  कि मान्यता देने में हो रही देरी और अफगान सरकार के फंड पर प्रतिबंध न केवल अफगानिस्तान बल्कि पूरी दुनिया के लिए खतरा बढ़ाने वाला है. तालिबान को मान्यता देने की गुहार अमेरिका के लिए सीधे चेतावनी के रूप में माना जा रहा है. अगर अमरीका तालिबान सरकार को मान्यता देता है तो इससे पूरी दुनिया पर दबाव बढ़ सकता है. गौरतलब है कि तालिबान ने 15 अगस्त को अशरफ गनी सरकार को अपदस्य कर काबुल पर कब्जा जमाया था.

इसके बाद सितंबर के पहले हफ्ते में तालिबान ने काफी खींचतान के बाद इस्लामिक अमीरात सरकार का ऐलान किया. सरकार गठन को दो माह पूरे हो गए हैं। मगर अभी तक तक किसी भी देश ने तालिबान सरकार को मान्यता नहीं दी है। पहले यह संभावना जताई गई थी कि पाकिस्तान, रूस या कतर तालिबान सरकार को मान्यता देने की तैयारी कर रहा है, मगर उन्होंने भी अपने कदम पीछे खींच लिए हैं.

अमेरिका ने रोका हुआ है तालिबान का फंड

अमेरिका ने तालिबान सरकार की घोषणा के बाद ही सभी फंड को सीज कर दिया था. इतना ही नहीं, अमेरिकी बैंको में जमा अफगान सरकार के सभी पैसों को जब्त कर दिया है. इस कारण सरकार बनाने के बावजूद तालिबान को एक पैसा नहीं मिला. इस कारण अफगानिस्तान गंभीर आर्थिक और मानवीय संकट का सामना कर रहा है. 

जबीहुल्लाह मुजाहिद बोला- पूरी दुनिया पर असर होगा

तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने कहा कि अमेरिका को हमारा संदेश है कि अगर मान्यता नहीं मिली और अफगान समस्याएं जारी रहतीं हैं तो यह क्षेत्र की समस्या दुनिया के लिए बड़ी समस्या बन सकती है. उन्होंने कहा कि तालिबान और अमेरिका के पिछली बार युद्ध में जाने का कारण यह भी था कि दोनों के बीच औपचारिक राजनयिक संबंध नहीं थे.