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Taliban के हाथ लगे Black Hawk चॉपर्स, आतंक का जाल और मजबूत

सांसद जिम बैंक्स के मुताबिक तालिबान के कब्जे में अब अमेरिका के सैन्य उपकरणों की 85 बिलियन डॉलर से ज्यादा की संपत्ति है. इनमें 75 हजार गाड़ियां, 200 से ज्यादा लड़ाकू विमान और हेलिकॉप्टर्स शामिल हैं.

Updated on: 28 Aug 2021, 07:01 AM

highlights

  • तालिबान के पास अब इतने ब्लैक हॉक हेलिकॉप्टर्स, जितने 85 देशों के पास नहीं
  • अमेरिका की मदद करने वाले अफगानियों का बायोमीट्रिक डाटा भी कब्जे में
  • व्हाइट हाउस की मानें तो 2001 के बाद तालिबान सबसे मजबूत स्थिति में

नई दिल्ली:

अफगानिस्तान (Afghanistan) पर दो दशकों बाद तालिबान राज की वापसी के निहितार्थ कहीं गहरे और डराने वाले हैं. अशरफ गनी का तुरत-फुरत देश छोड़ना. अफगान सशस्त्र बलों का बगैर एक भी गोली चलाए आत्मसमर्पण करना तालिबान (Taliban) को अस्त्र-शस्त्र के मामलों में और मजबूत बना गया है. सामरिक विशेषज्ञों समेत अगर व्हाइट हाउस की मानें तो 2001 के बाद तालिबान सबसे मजबूत स्थिति में है. दावा किया जा रहा है कि तालिबान के लड़ाकों के साथ अमेरिका के कई आधुनिक हथियार भी लगे हैं. कुछ ऐसे वीडियो भी सामने आए हैं जिनमें देखा जा सकता है कि जिन हथियारों का इस्तेमाल अमेरिकी सेना करती थी, वह अब तालिबानी लड़ाकों के हाथ में हैं. अमेरिकी सांसद डिन बैंक्स तो और बड़ा दावा कर रहे हैं. उनके मुताबिक तालिबान के पास इतने ब्लैक हॉक (Black Hawk) हेलिकॉप्टर्स हैं, जितने दुनिया के 85 देशों के पास भी नहीं हैं. 
 
बेहद आधुनिक हेलिकॉप्टर है ब्लैक हॉक
गौरतलब है कि अमेरिकी सेना और नेवी द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले ब्लैक हॉक की दुनिया के अत्याधुनिक हेलिकॉप्टर्स में गिनती होती है. ऐसे में सांसद जिम बैंक्स का दावा दुनिया भर को डराने के लिए काफी है. उनके मुताबिक तालिबान के कब्जे में अब अमेरिका के सैन्य उपकरणों की 85 बिलियन डॉलर से ज्यादा की संपत्ति है. इनमें 75 हजार गाड़ियां, 200 से ज्यादा लड़ाकू विमान और हेलिकॉप्टर्स शामिल हैं. 6 लाख के लगभग छोटे और हल्के अस्त्र-शस्त्र हैं. यही नहीं तालिबान लड़ाकों के पास अब अमेरिकी सेना द्वारा इस्तेमाल में लाए जाने वाले नाइट विजन गॉगल्स और मेडिकल उपकण भी हैं.

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बाइडन की परेशानी और बढ़ी
यह खतरा इसलिए और बढ़ गया है कि तालिबान के पास अब उन लोगों की सारी डिजिटल जानकारी मौजूद है, जिन्होंने अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना की मदद की. यानी लोगों के फिंगर प्रिंट, आई स्कैन और बायोग्राफिकल जानकारी. जाहिर है इतने संवेदनशील उपकरण औऱ जानकारी पर राष्ट्रपति जो बाइडन अपने ही देश में घिर गए हैं और चहुंओर से आलोचना झेल रहे हैं. काबुल में गुरुवार को एयरपोर्ट पर हुए भीषण आत्मघाती आतंकी हमले में 13 सैनिकों की मौत के बाद जो बाइडेन की परेशानियां बढ़ गई हैं.