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अफगानिस्तान में तालिबान सरकार बनाने को लेकर मंथन शुरू, पाकिस्तान भी चाहता है अहम किरदार

. तालिबान की मदद करने वाला पाकिस्तान भी सरकार में अपनी स्थिति को देख रहा है. मीडिया हाउस की मानें तो पाकिस्तान अफगानिस्तान की नई सरकार में अहम किरदार चाहता है.

Updated on: 01 Sep 2021, 07:34 AM

highlights

  • अफगानिस्तान में सरकार बनाने की कवायद शुरू
  •  पाकिस्तान सरकार में चाहता है अहम भूमिका
  • कंधार में सरकार बनाने को लेकर हो रही बैठकों का दौर

नई दिल्ली :

अफगानिस्तान तालिबान युग शुरू हो चुका है. यहां पर अब तालिबान सरकार बनाने की कवायद शुरू कर दी है. सरकार बनाने के लिए मंथन पिछले कई दिनों से कंधार में चल रहा है. माना जा रहा अगले एक सप्ताह के अंदर तालिबान की नई सरकार अपनी शक्ल ले सकती है. तालिबान की मदद करने वाला पाकिस्तान भी सरकार में अपनी स्थिति को देख रहा है. मीडिया हाउस की मानें तो पाकिस्तान अफगानिस्तान की नई सरकार में अहम किरदार चाहता है. एक निजी चैनल के मुताबिक अफगानिस्तान में अगली सरकार ईरान की तर्ज पर हो सकता है. 

जहां पर सुप्रीम लीडर के तौर पर तालिबान नेता हैबतुल्ला अखुंदजादा को चुना जा सकता है. वहीं अफगानिस्तान में सुप्रीम काउंसिल का भी गठन होगा. जो राजधानी काबुल से संचालित होगी. वहीं सुप्रीम लीडर कंधार में ही बने रहेंगे. सुप्रीम काउंसिल में 11 से 72 लोगों को शामिल किया जा सकता है और प्रधानमंत्री इसका नेतृत्व करेंगे. प्रधानमंत्री की कुर्सी पर कौन विराजमान होगा इसे लेकर दो दावेदार बताए जा रहे हैं.  तालिबानी नेता मुल्लाह बरादर या मुल्लाह याकूब ये संभावित नाम है जो प्रधानमंत्री बन सकते हैं.

संविधान में हो सकता है बदलाव

यह भी कहा जा रहा है कि यहां के संविधान में भी बदलाव किया जा सकता है. नया संविधान तालिबान लागू कर सकता है. 1964-65 के दौरान अफ़ग़ानिस्तान के संविधान को कुछ बदलाव के साथ दोबारा लागू किया जा सकता है. तालिबान का मानना है कि मौजूदा संविधान विदेशी ताकतों की देखरेख में बनाया गया.

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तालिबान अपने चेहरे में करेगा बदलाव

माना जा रहा है कि इस बार तालिबान अपने चेहरे में बदलाव करेगा. वो पहले वाले तालिबान की तरह काम नहीं करेगा. सरेआम वो हत्या नहीं करेगा. उसे विश्व पटल पर मान्यता चाहिए. इसलिए वो दो चेहरा रखेगा. दुनिया के लिए कुछ और..और अफगानिस्तान के लिए कुछ और.

अहमद मसूद भी सरकार में होना चाहते हैं शामिल

यह भी कहा जा रहा है कि इस सरकार में अहमद मसूद को भी शामिल किया जा सकता है. जबकि अमरउल्लाह सालेह को तालिबान ने किनार कर दिया है. अहमद मसूद की चाहत है कि वो सरकार में शामिल हो. लेकिन अभी बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकला है.

बता दें कि अहमद मसूद के नेतृत्व में नॉर्दर्न अलांयस तालिबान को पंजशीर में चुनौती दे रही है. पंजशीर पर अहमद मसूद का कब्जा है.