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अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा, राष्ट्रपति अशरफ गनी ने दिया इस्तीफा

अफगानिस्तान में 'तालिबान राज' हो गया है. अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर भी तालिबानी आतंकियों ने कब्जा कर लिया है. इसके बाद अफगान के राष्ट्रपति मोहम्मद अशरफ गनी ने रविवार को इस्तीफा दे दिया है.

Updated on: 15 Aug 2021, 03:46 PM

highlights

  • राजधानी काबुल पर भी तालिबान का राज 
  • अब्दुल गनी अफगान के नए राष्ट्रपति हो सकते हैं
  • अमेरिका ने दूतावास के कर्मियों को बाहर निकालने के लिए भेजे सैनिक 

नई दिल्ली:

अफगानिस्तान में 'तालिबान राज' हो गया है. अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर भी तालिबानी आतंकियों ने कब्जा कर लिया है. इसके बाद अफगान के राष्ट्रपति मोहम्मद अशरफ गनी ने रविवार को इस्तीफा दे दिया है. अब्दुल गनी अफगान के नए राष्ट्रपति हो सकते हैं. गृह मंत्री शेख राशिद अहमद ने खुद इस बात को स्वीकार किया है कि तालिबान का अब अफगानिस्तान पर पूर्ण रूप से कब्जा हो गया है. इस बीच अमेरिका ने अपने दूतावास के कर्मियों को बाहर निकालने और संवेदनशील दस्तावेजों को नष्ट करने के लिए और सैनिक भेजे हैं. अमेरिकी हेलीकॉप्टर भी दूतावास की छत पर उतरते देखे गए हैं. 

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आपको बता दें कि तालिबान ने रविवार को कहा कि काबुल के शांतिपूर्ण आत्मसमर्पण के लिए अफगान सरकार के साथ बातचीत चल रही है और राजधानी को सैन्य रूप से कब्जा करने की कोई योजना नहीं है. एक बयान में, विद्रोही समूह ने स्वीकार किया कि लड़ाकों का अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में प्रवेश करने का कोई इरादा नहीं है और वे शांति से शहर में प्रवेश करेंगे.

बयान में कहा गया है कि काबुल अफगानिस्तान का सबसे अधिक आबादी वाला शहर है और लड़ाकों को शहर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं है और उन्हें काबुल से बाहर रहने का निर्देश दिया गया है. शहर में दहशत फैलने और लोगों के सड़कों पर उतर आने के घंटों बाद बयान प्रकाशित किया गया.

अफगान मीडिया ने बताया कि लोग दुकान और बाजार बंद कर रहे थे और शहर में कोई परिवहन उपलब्ध नहीं है. अफगान प्रेसिडेंशियल पैलेस ने फेसबुक पोस्ट में यह भी कहा कि काबुल की स्थिति नियंत्रण में है और अफगान सेना अंतर्राष्ट्रीय सहयोगियों के साथ अफगान राजधानी को सुरक्षित करने के लिए काम कर रही है.

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बयान में कहा गया है कि हम दोहराते हैं कि अफगानिस्तान इस्लामिक अमीरात का काबुल में नागरिक और सैन्य अधिकारियों से कोई लेना-देना नहीं है. हम बदला नहीं लेना चाहते हैं और सरकारी अधिकारियों के लिए सामान्य क्षमा है. बयान में आगे लिखा गया है कि आगामी इस्लामी व्यवस्था में अफगानिस्तान में सभी वर्ग और समूह शामिल होंगे.