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अफगानिस्तान में तालिबान का आतंक: अफगान ऑर्मी डरी, पायलट सेना छोड़ भागे

अफगान सरकार इन आतंकियों के सामने बेबस नजर आ रही है. एक तो देश में कानून व्यवस्था से भरोसा उठ गया ऊपर से अब अफगानिस्तानी पायलटों ने लड़ाकू विमानों की खस्ता हालत को देखते हुए नौकरियां छोड़ने का फैसला लिया है.

Updated on: 11 Aug 2021, 06:18 PM

नई दिल्ली :

अफगानिस्तान में तालिबान आतंकियों का खौफ सिर चढ़कर बोल रहा है. तालिबान आतंकियों से जूझ रही अफगान सरकार को एक बाद एक करके लगातार झटके लग रहे हैं. अफगान सरकार इन आतंकियों के सामने बेबस नजर आ रही है. एक तो देश में कानून व्यवस्था से भरोसा उठ गया ऊपर से अब अफगानिस्तानी पायलटों ने लड़ाकू विमानों की खस्ता हालत को देखते हुए नौकरियां छोड़ने का फैसला लिया है. आपको बता दें कि अफगानिस्तानी लड़ाकू विमानों की हालत इतनी खस्ता हो चुकी है कि पायलट इनसे हमला करने को तैयार नहीं है ये विमान आए दिन आतंकियो के निशाने पर आ जाते हैं जिसकी वजह से पायलटों को अपनी जान गंवानी पड़ रही है. 

डेली मेल में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, सोमवार को एक जिहादी गुट ने समांगन प्रांत की राजधानी ऐबक पर कब्जा कर लिया. तालिबान ने ट्वीट कर बताया कि ऐबक के सभी सरकारी और पुलिस चौकियों पर कब्जा कर लिया गया है. जब मीडिया ने इस बात की पुष्टि के लिए समांगन प्रांत के डिप्टी गवर्नर सेफतुल्लाह सामंगनी से बात की तो पता चला कि तालिबान ने जरंज और शेबरघन शहरों को भी पिछले सप्ताह ही अपने कब्जे में कर लिया था. वहीं हेरात, कंधार और लश्कर गाह में अभी भी चरमपंथियों से सेना का संघर्ष जारी है. 

इस बीच अंतर्राष्ट्रीय मीडिया में ये खबरें भी आनी शुरू हो गईं कि अफगानिस्तान के पायलट अपनी नौकरियां छोड़ कर जा रहे हैं. ऐसे में अफगान सेना हवाई हमलों के आक्रमण से वंचित हो रही है जबकि तालिबान को शिकस्त देने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी हवाई हमले किया जाना है. आपको बता दें कि बीते 8 सप्ताह में 8 पायलटों को तालिबानी आतंकियों ने मार डाला है. मारे गए पायलटों में ब्लैक हॉक पायलट हमीदुल्लाह अज़ीमी भी शामिल हैं जिन्हें शनिवार को काबुल के पास तालिबान ने मार गिराया था.  

अफगान सेना के एक पायलट ने नाम न लेने की शर्त पर 'द टाइम्स' से बात करते हुए बताया कि वह उन 19 सहयोगी पायलटों के बारे में जानते हैं जिन्होंने हाल में ही वायुसेना की नौकरी छोड़ दी है. ऐसा इसलिए है क्योंकि अफगान सरकार इन पायलटों को सुरक्षा की गारंटी नहीं दे पा रही है.अफगान वायु सेना के इस पायलट ने आगे बताया, 'मैं दस साल से विमान उड़ा रहा हूं. जिस दिन से मैंने अपनी वर्दी पहनी थी, मैंने खून की आखिरी बूंद तक अपने देश की रक्षा करने की कसम खाई थी...'