ताइवानः युद्ध के डर से बच्चों को जान बचाने की दी जा रही ट्रेनिंग
ताइवान जो अभी तक लोकतांत्रिक संपन्न खुशहाल और शांतिप्रिय देश माना जाता था. अब इस मुल्क ने युद्ध की विभीषिका को झेलने के लिए नागरिकों ने तैयारियां शुरू कर दी है.
highlights
- युवाओं को युद्ध के समय जान बचाने की ट्रेनिंग दी जा रही
- छोटे बच्चों की आंखों में मायूसी और डर नजर आया
- वयस्क नागरिकों के लिए मिलिट्री में सेवाएं देना अनिवार्य हैं
नई दिल्ली:
ताइवान जो अभी तक लोकतांत्रिक संपन्न खुशहाल और शांतिप्रिय देश माना जाता था. अब इस मुल्क ने युद्ध की विभीषिका को झेलने के लिए नागरिकों ने तैयारियां शुरू कर दी है. शनिवार और रविवार जब बच्चों के स्कूल बंद होते हैं. तब सभी 5 वर्ष की आयु से लेकर 18 साल से छोटे बच्चों और युवाओं को युद्ध के समय जान बचाने की ट्रेनिंग दी जा रही है. इस ट्रेनिंग को लेने वाले छोटे बच्चों की आंखों में मायूसी और डर नजर आया. दरअसल ताइवान में इजराइल की तरह कॉल आन ड्यूटी के तहत सभी वयस्क नागरिकों के लिए मिलिट्री में सेवाएं देना अनिवार्य हैं. लेकिन जो युवा 18 साल से छोटे हैं या छोटे बच्चे हैं, वे नहीं जानते कि युद्ध की स्थिति में क्या किया जाए. इससे पहले हमने यूक्रेन में देखा था. जब अस्पतालों पर बमबारी हुई. फायर ब्रिगेड की सेवाएं ठप हो गई. एंबुलेंस पहुंचती नहीं थी और आर्टलरी हमले गोलाबारी रॉकेट अटैक की वजह से आम लोग अपनी जान गवां रहे थे.
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ऐसी स्थिति की तैयारी अब ताइवान के स्कूलों में शुरू हो गई है. जहां बच्चों को फर्स्ट एड देना. गोली लगने की स्थिति में खून रोकना. गोलीबारी के छर्रों में घायल लोगों के रक्तस्राव पर काबू पाना. बिना बिजली और बिना सेल फोन नेटवर्क के लोगों को ढूंढना आदि सिखाया जा रहा है.
ताइवान की सरकार ने भी अब यह मान लिया है की चीन से युद्ध होकर रहेगा. ऐसी युद्ध की स्थिति में सेना के साथ-साथ नागरिकों पर भी आसमान से बम बरसेंगे. यही वजह है कि जिस स्कूल को शिक्षा का मंदिर माना जाता था. आज वही युद्ध की तैयारी की क्लास चल रही है.
किस क्लास में सब्जेक्ट के साथ-साथ प्रैक्टिकल वर्कशॉप भी होती है. परमाणु और पारंपरिक युद्ध में दी जाने वाली बुक दिखाते हुए, सब्जेक्ट की क्लास में परमाणु युद्ध होने की स्थिति में सोडियम का इस्तेमाल करना. न्यूक्लियर रेडिएशन से बचने के लिए जमीन के अंदर जाना. आर्टलरी फायर के बीच हर वक्त मुंह से सांस लेना जिससे कान के परदे नहीं फट जाए. एयर रेड के समय खिड़कियों के सभी शीशों को कवर कर देना ताकि धमाके की आवाज से उनके टूटने की स्थिति में लोग घायल ना हो जाए आदि खाया जा रहा है. गौरतलब है कि सब्जेक्ट की क्लास में परमाणु युद्ध की ट्रेनिंग भी दी जा रही है.
सभी बच्चों और युवाओं के लिए यह कोर्स शुरू कर दिए गए हैं, जो शनिवार और रविवार को होते हैं. इस कोर्स को करने के बाद बकायदा एक आई कार्ड भी दिया जा रहा है. इस आईडेंटिफिकेशन से सरकार के पास भी डाटा रहेगा की युद्ध की स्थिति में वह कितने नागरिकों की ट्रेनिंग कर चुकी है.
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