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ताइवान ने अमेरिका से मांगे F-16,चीन के खिलाफ लामबंद हुआ ताइवान

अब ताइवान चीन के झुकेगा नहीं, बल्कि डटककर मुकाबला करेगा. खबरों के मुताबिक ताइवान की राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन ने कहा की उन्होने चीन की चिंता करनी छोड़ दी है.

Updated on: 17 Oct 2021, 09:20 PM

highlights

  • F-16 की जल्द डिलीवरी की लगाई अमेरिका गुहार 
  • 22 फाइटर जेट्स की बिक्री को 2019 में दी गई थी मंजूरी 
  • राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन ने कहा की ताइवान चीन के आगे नहीं झुकेगा 

नई दिल्ली :

अब ताइवान चीन के झुकेगा नहीं, बल्कि डटककर मुकाबला करेगा. खबरों के मुताबिक ताइवान की राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन ने कहा की उन्होने चीन की चिंता करनी छोड़ दी है. अब वह अपनी सैन्य शक्ति मजबूत करने पर काम कर रहा है. इसलिए ही अमेरिका से F-16 फाइडर जेट्स मंगाने के लिए अपील  की है. ताकि हमें जल्द से जल्द फाइटर जेट्स की डिलीवरी मिल जाए. आपको बता दें कि 22 फाइटर जेट्स की बिक्री को 2019 में ही मंजूरी दे दी गई है. ताइवान ने अमेरिका से गुहार लगाई है कि उन्हे अतिशिघ्र फाइटर जेट्स मिल सके. इससे साफ होता है कि ताइवान अब डरने के नहीं, बल्कि लड़ने के मूड़ में है.

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ताइपे टाइम्स ने सीएनएन की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के प्रशासन ने ताइवान के अधिकारियों के साथ ताइवान को अमेरिकी निर्मित एफ-16 की डिलीवरी में तेजी लाने की संभावना पर चर्चा की है. बता दें कि 2019 में ताइवान ने अमेरिका से F-16 फाइटर जेट खरीदने का सौदा किया था, जो करीब 10 साल में पूरा होगा. रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि फाइटर जेट्स की मंजूरी मिलने के बाद भी 
चीनी उकसावे और खतरे के मद्देनजर ताइवान को वास्तविक डिलीवरी के समय में तेजी लाने की उम्मीद है, जिसमें आमतौर पर 10 साल तक का समय लग सकता है..

ताइवान को चीन में मिलाने की दी थी धमकी 
रिपोर्ट के मुताबिक, ताइवान के राष्ट्रीय रक्षा मंत्रालय के आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि लगभग 150 चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के सैन्य विमानों ने 1-5 अक्टूबर से ताइवान के वायु रक्षा पहचान क्षेत्र में घुसपैठ की है. ये बीजिंग की ओर से पिछले कुछ दिनों में ताइवान की सबसे बड़ी घुसपैठ है. यह घुसपैठ तब हुई, ताइवान और चीन के पुन: एकीकरण की जोरदार वकालत करते हुए चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने बीते दिनों कहा था कि 'ताइवान प्रश्न' का मुद्दा सुलझाया जाएगा और उसे फिर से चीन में मिलाया जाएगा. चीनी राष्ट्रपति के बयान को ताइवान बहुत ही गंभीरता से ले रहा है. साथ ही अपने आपको मजबूत करने के लिए कोई कसर छोड़ना नहीं चाहता है.