भारत और कतर ने सोमवार को सभी द्विपक्षीय मामलों के साथ-साथ क्षेत्रीय और समान हितों के वैश्विक मुद्दों की समीक्षा के लिए एक संयुक्त आयोग स्थापित किया. द्विपक्षीय संबंधों, क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर व्यापक चर्चा के दौरान भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और कतर के उपप्रधानमंत्री व विदेश मंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान अल थांगी के बीच हुई बैठक के बाद इस संबंध में एक संयुक्त घोषणा-पत्र जारी किया गया.
घोषणा-पत्र में कहा गया है, 'विभिन्न क्षेत्रों में अपने मित्रवत लोगों के समान हितों को देखते हुए दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत करने के लिए दोनों देशों ने एक संयुक्त आयोग की स्थापना का फैसला किया है.'
इसमें संयुक्त आयोग को दी गई जिम्मेदारी का भी जिक्र किया गया है, जिसमें आर्थिक, व्यावसायिक, सांस्कृतिक, वैज्ञानिक, प्रौद्योगिकी, सूचना प्रौद्योगिकी और शिक्षा के क्षेत्र में दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत बनाने के लिए जरूरी आधार बनाना, दोनों देशों के बीच समझौते को लागू करने में मदद करना, इसको लागू करने में आ रही मुश्किलों का उचित समाधान तलाशना, सूचना एवं दक्षता के आदान-प्रदान को सुगम बनाना और दोनों देशों के बीच सेवा सहयोग में द्विपक्षीय विचार-विमर्श को प्रोत्साहन देना शामिल है.
घोषणा-पत्र के मुताबिक, आयोग की अध्यक्षता दोनों देशों के विदेश मंत्री या उनके प्रतिनिधि करेंगे और इसमें दोनों देशों के द्विपक्षीय सहयोग से संबंधित क्षेत्रों के प्रतिनिधियों को शामिल किया जा सकता है.
घोषणा-पत्र में कहा गया है, 'संयुक्त आयोग प्रत्येक देश में बारी-बारी से दोनों देशों की सहमति से निर्धारित समय पर बैठकें आयोजित करेगा. दोनों देशों की सहमति से विशेष सत्र आयोजित किए जा सकते हैं.'
कतर में करीब सात लाख प्रवासी भारतीय रहते हैं और यह खाड़ी देश भारत का एक भरोसेमंद ऊर्जा साझेदार है. कतर भारत की प्राकृतिक गैस आयात का 50 फीसदी से ज्यादा की आपूर्ति करता है.
सुषमा स्वराज पश्चिम एशिया के दो-देशों के दौरे के प्रथम चरण में रविवार को यहां पहुंचीं, जिसके बाद वह यहां से कुवैत जाएंगी.
Source : IANS