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भारत से प्याज निर्यात रुकने से बांग्लादेशी प्रधानमंत्री की रसोई पर पड़ा असर, कही ये बात

मुझे नहीं पता कि आपने प्याज का निर्यात क्यों रोक दिया. अगर हमें कुछ पूर्व सूचना मिली होती तो हम कहीं और से आयात की व्यवस्था कर सकते थे.

Updated on: 04 Oct 2019, 10:53 PM

नई दिल्‍ली:

भारत से प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध का असर बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना की रसोई पर भी पड़ा है. भारत दौरे पर पहुंची हसीना ने एक हल्के-फुल्के अंदाज में कहा कि उन्होंने अपने रसोइये को निर्देश दिया है कि वे बढ़े हुए मूल्यों के कारण सभी व्यंजनों में प्याज न डालें. शुक्रवार को यहां भारत-बांग्लादेश व्यापार मंच को संबोधित करते हुए हसीना ने हिंदी में कहा कि भारत द्वारा प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध के कारण उनके देश को कुछ परेशानी हुई है.

उन्होंने कहा, "मुझे नहीं पता कि आपने प्याज का निर्यात क्यों रोक दिया. अगर हमें कुछ पूर्व सूचना मिली होती तो हम कहीं और से आयात की व्यवस्था कर सकते थे. मैंने अपने रसोइये को निर्देश दिया है कि सभी व्यंजनों में प्याज न डालें. भविष्य में अगर इस तरह का कदम उठाने की कोई योजना हो तो कृपया हमें पहले से बताएं."हसीना की ओर से मजाक के लहजे में बोला गया रसोईये वाला वाक्य सुनकर कार्यक्रम में मौजूद लोगों के चेहरे पर मुस्कुराहट फैल गई.

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प्याज उत्पादक राज्यों मेंबड़े स्तर पर फसल खराब होने के कारण 29 सितंबर को भारत सरकार ने प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था. बांग्लादेश अधिकतर प्याज भारत से ही आयात करता है. इसलिए उन्हें प्याज की आपूर्ति नहीं होने से वहां प्याज की किल्लत हो गई है, जिससे दाम भी बढ़ गए हैं. अपने संबोधन के दौरान हसीना ने बड़े भारतीय निवेशकों से बांग्लादेश में उद्योग स्थापित करने और भारत व दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के विशाल बाजारों में उत्पादों का निर्यात करने का आग्रह किया, जिससे बेहतर कनेक्टिविटी का लाभ उठाया जा सके.

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उन्होंने कहा कि भारतीय कारोबारी बांग्लादेश की आर्थिक संभावनाओं को आगे बढ़ाने में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं. बांग्लादेश की प्रधानमंत्री ने उनके देश में कई तरह के रियायती शुल्क के साथ लाभ के अवसरों का हवाला देते हुए कहा कि उनके देश की दक्षिण एशिया में सबसे उदार निवेश नीति है और इसमें कानून द्वारा विदेशी निवेश भी शामिल है. हसीना ने कहा कि दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश बढ़ रहा है. पिछले वर्षो के दौरान द्विपक्षीय व्यापार में लगातार वृद्धि हुई है. इस दिशा में व्यापार संतुलन हालांकि अभी भी भारत के पक्ष में है. उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच व्यापार की मात्रा लगभग 10 अरब डॉलर है. उन्होंने कहा, "प्रगति दिख रही है, लेकिन व्यापार और निवेश के क्षेत्र में हमारे संबंधों को और गहरा करने की बहुत गुंजाइश है."

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