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लाहौर में तीसरी बार तोड़ी गई महाराजा रणजीत सिंह की मूर्ति, आरोपी गिरफ्तार

महाराजा रणजीत सिंह की मूर्ति क्षतिग्रस्त हो गयी. हमलावर ने पहले महाराज रणजीत सिंह के खिलाफ नारे लगाए और मूर्ति को तोड़कर जमीन पर फेंक दिया. 

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Pradeep Singh
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LAHORE

लाहौर किले में क्षतिग्रस्त महाराजा रणजीत सिंह की मूर्ति( Photo Credit : TWITTER HANDLE)

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अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जा का असर पाकिस्तान में होने लगा है. पाकिस्तान के कट्टरपंथी तत्वों में एक बार फिर उन्माद देखने को मिल रहा है. लाहौर में एक बार फिर महाराजा रणजीत सिंह की मूर्ति को तोड़ने का प्रयास किया गया है. बताया जा रहा है कि मूर्ति को प्रतिबंधित तहरीक-ए-लब्बैक ( TLP)कट्टर इस्लामिक संगठन के सदस्यों ने तोड़ा है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार आरोपी कार्यकर्ता को गिरफ्तार कर लिया गया है. लेकिन महाराजा रणजीत सिंह की मूर्ति क्षतिग्रस्त हो गयी. हमलावर ने पहले महाराज रणजीत सिंह के खिलाफ नारे लगाए और मूर्ति को तोड़कर जमीन पर फेंक दिया. 

सूचना के मुताबिक मौके पर मौजूद कुछ लोगों ने हमलावर को रोकने की कोशिश भी की पर वो तब तक मूर्ति तोड़ कर जमीन पर फेंक चुका था. रोकने की कोशिश के बावजूद वो मूर्ति तोड़ने में कामयाब हो गया.    

कांस्य से बनी 9 फीट की मूर्ति पर महाराजा रणजीत सिंह घोड़े पर बैठे हैं और उनके हाथ में तलवार है. पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की निशानियां तक कट्टरपंथी  संगठनों के निशानों पर रहती हैं, यह तीसरा मौका है जब इस प्रतिमा को नुकसान पहुंचाया गया.   

पिछले साल दिसंबर में भी एक शख्स ने मूर्ति पर हमला किया था. उसने मूर्ति का हाथ तोड़ दिया था वो भी मूर्ति को और भी नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहा था  पर लोगों ने उसे पकड़ लिया था.  इसके अलावा एक बार और भीड़ ने मूर्ति को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की थी. 

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मूर्ति पर हमला करने का वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है. बताया जा रहा है कि यह हमला TLP के लोगों ने किया है. हालांकि, उनकी पहचान अभी सामने  नहीं आई है. इस मामले की जांच की जा रही है. मूर्ति के पैर और दूसरे हिस्से को तोड़ा गया.  

लाहौर किले में महाराजा रणजीत सिंह की मूर्ति को साल 2019 में लगाया गया था.  कांस्य से बनी इस 9 फीट की मूर्ति में रणजीत सिंह घोड़े पर बैठे हैं  और उनके हाथ में तलवार है. वह सिखों के परिधान में बैठे दिखते हैं.  

शेर-ए पंजाब के नाम से प्रसिद्ध महाराजा रणजीत सिंह (1780-1839) पंजाब प्रांत के राजा थे. महाराजा रणजीत एक ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने न केवल पंजाब को एक सशक्त सूबे के रूप में एकजुट रखा, बल्कि अपने जीते-जी अंग्रेजों को अपने साम्राज्य के पास भी नहीं भटकने दिया. उन दिनों पंजाब पर सिखों और अफ़ग़ानों का राज चलता था जिन्होंने पूरे इलाके को कई मिसलों में बांट रखा था. 

12 अप्रैल 1801 को रणजीत सिंह ने महाराजा की उपाधि ग्रहण की. गुरु नानक  के एक वंशज ने उनकी ताजपोशी संपन्न कराई. उन्होंने लाहौर को अपनी राजधानी बनाया और सन 1802 में अमृतसर की ओर रूख किया.

महाराजा रणजीत ने अफ़ग़ानों के खिलाफ कई लड़ाइयां लड़ीं और उन्हें पश्चिमी पंजाब की ओर खदेड़ दिया. अब पेशावर समेत पश्तून क्षेत्र पर उन्हीं का अधिकार हो गया. यह पहला मौक़ा था जब पश्तूनों पर किसी ग़ैर-मुस्लिम ने राज किया. उसके बाद उन्होंने पेशावर, जम्मू कश्मीर और आनंदपुर पर भी अधिकार कर लिया.

HIGHLIGHTS

  • लाहौर किले में स्थापित महाराजा रणजीत सिंह की प्रतिमा पर तीसरी बार हमला
  • हमलावर प्रतिबंधित तहरीक-ए-लब्बैक कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन का सदस्य
  • साल 2019 में कांस्य से बनी इस 9 फीट की मूर्ति में रणजीत सिंह घोड़े पर बैठे हैं
taliban vandalized for the third time TLP Statue of Maharaja Ranjit Singh lahore
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