श्रीलंका बम धमाकों के तार कट्टरपंथी सलाफी-वहाबी इस्लाम से जुड़े

अब तक की जांच से आए एक नए मोड़ ने श्रीलंका सरकार समेत भारत (India) खासकर एशिया के लिए चुनौती बढ़ी दी है. जांच से पता चला है कि श्रीलंका के मुसलमानों में सलाफी-वहाबी इस्लाम के प्रति रुझान बढ़ रहा है.

author-image
Nihar Saxena
एडिट
New Update
श्रीलंका बम धमाकों के तार कट्टरपंथी सलाफी-वहाबी इस्लाम से जुड़े

श्रीलंका बम धमाकों की भयावहता दर्शाता फाइल फोटो

श्रीलंका में ईस्टर के मौके पर हुए श्रंखलाबद्ध आत्मघाती (Srilanka Serial Blasts) बम धमाकों में अब तक की जांच से आए एक नए मोड़ ने श्रीलंका सरकार समेत भारत (India) खासकर एशिया के लिए चुनौती बढ़ी दी है. जांच से पता चला है कि श्रीलंका के मुसलमानों में सलाफी-वहाबी इस्लाम के प्रति रुझान बढ़ रहा है. गौरतलब है कि वैश्विक आतंकवाद के पीछे इस्लाम की इसी विचारधारा को कट्टरता बढ़ाने वाला माना जाता है. पता चला है कि मुख्य साजिशकर्ता जहारान हाशिम भी इसी विचारधारा से प्रभावित था. यही नहीं, इस मामले में पुलिस ने जिस एक शख्स को और गिरफ्तार किया है, वह भी सऊदी अरब से पढ़कर लौटा था.

Advertisment

यह भी पढ़ेंः म्यांमार एयरलाइंस के विमान का लैंडिंग गियर हुआ फेल, फिर क्या हुआ जानें

मोहम्मद का है मुख्य साजिशकर्ता जहारान से नजदीकी रिश्ता
हाल में गिरफ्तार 60 साल का मोहम्मद अलियर सेंटर फॉर इस्लामिक गाइडेंस संस्था का संस्थापक है. उसने श्रीलंका के मुस्लिम बहुल इलाके कट्टनकुड्डी में मस्जिद, धार्मिक स्कूल और लाइब्रेरी खोली हुई हैं. पुलिस के मुताबिक प्राप्त सबूत साफ-साफ इशारा कर रहे हैं कि मोहम्मद का जहारान से नजदीकी रिश्ता था और दोनों के बीच कई वित्तीय लेनदेन भी हुए थे. बता दें कि जहारान को श्रीलंका हमले का मुख्य साजिशकर्ता बताया गया है. पुलिस ने यह भी दावा किया है कि अलियर 250 लोगों की जान लेने वाले हमले की ट्रेनिंग आदि में भी शामिल था.

यह भी पढ़ेंः सिर्फ जूता ही साफ किया था, BJP कार्यकर्ताओं ने मार-मारकर किया बेदम, जानें क्या है मामला

इस्लाम के कट्टर स्वरूप की तरफ मुड़ गया था जहारान
अंग्रेजी समाचार एजेंसी राउटर के अनुसार जहारान को पहचानने वाले सूत्रों ने यह भी दावा किया है वह पिछले 2-3 सालों में इस्लाम के रुढ़िवादी या कट्टर स्वरूप सलाफी-वहाबी (Salafi-Wahabi) की तरफ आकर्षित हो रहा था. इसकी पुष्टि इससे भी होती है कि वह उनसे जुड़ी किताबों को पढ़ रहा था. एक सूत्र ने कहा कि मैं उसे हमेशा सेंटर में इधर से उधर भागते और सऊदी पत्रिकाओं और साहित्य को पढ़ता देखता था. उस वक्त जहारान धीरे-धीरे मौजूदा इस्लाम की चीजों की बुराई करने लगा. जैसे वह कहता कि मदद के लिए अल्लाह या ईश्वर को बुलाना ठीक नहीं.

यह भी पढ़ेंः सऊदी अरब में सुरक्षा ऑपरेशन के दौरान मारे गए 8 आतंकी

क्या है सलाफी विचारधारा
सलाफी इस्लाम (Islam) का ही एक रूप है जिसमें मुस्लिमों की पहली तीन पीढ़ियों द्वारा तय किए गए सामाजिक मूल्यों पर चलने को कहा जाता है. मुसलमानों में भी ज्यादातर इसे कट्टरपंथी विचारधारा मानते हैं. इस्लाम की इस विचारधारा की जड़ें सऊदी अरब से शुरू होती हैं. पहले सऊदी अरब (Saudi Arab) के शासक भी इस विचारधारा का समर्थन करते थे. हालांकि, अब क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान इस छवि को सुधारने की कोशिशों में लगे हैं.

यह भी पढ़ेंः लड़कियों को बलात्कार से बचाएगी ये डिजाइनर साड़ी, जानिए कैसे...

सऊदी में पढ़ाई कर खोला था सेंटर
अलियर ने 1990 में इस सेंटर की शुरुआत की थी. यह सेंटर उसने रियाद में स्थित इमाम मोहम्मद इबिन इस्लामिक यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन करने के बाद बनाया था. इस सेंटर को सऊदी और कुवैत से डोनेशन मिलती थी. इसी के जरिये उसने दुनिया के कई हिस्सों में सलाफी-वहाबी विचारधारा को प्रचारित-प्रोत्साहित करने का काम किया.

HIGHLIGHTS

जांच से पता चला है कि श्रीलंका के मुसलमानों में सलाफी-वहाबी इस्लाम के प्रति रुझान बढ़ रहा है.
हाल में गिरफ्तार 60 साल का मोहम्मद अलियर सेंटर फॉर इस्लामिक गाइडेंस संस्था का संस्थापक है.
मुसलमानों में भी ज्यादातर सलाफी-वहाबी विचारधार को कट्टरपंथी रूढ़िवादी मानते हैं.

Source : News Nation Bureau

Saudi Arab islam Srilanka Serial Blasts Salafi Wahabi Linked With Hardliner Branch
      
Advertisment