श्रीलंका सरकार ने कहा है कि वह अगले साल से चाय बागान में शामिल होने की इच्छा रखने वाले किसी भी उत्पादक को मुफ्त चाय के पौधे मुहैया कराएगी। इसका उद्देश्य इस क्षेत्र के विकास को बढ़ावा देना है।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, बागान मंत्री रमेश पथिराना ने एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि चाय की झाड़ियों को उपज पैदा करने में लगभग चार साल लगते हैं। इसलिए उत्पादक अक्सर चाय उद्योग से जुड़ने से हतोत्साहित हो जाते हैं।
मंत्री ने कहा, उत्पादक नई प्रणाली को अपनाते हुए चाय की खेती के लिए आगे आए हैं। इस वृक्षारोपण पद्धति को अपनाने से अगले तीन वर्षों के भीतर चाय उद्योग में क्रांतिकारी बदलाव लाना संभव होगा।
उन्होंने कहा कि चाय की खेती ताजी उपजाऊ जमीन पर होनी चाहिए, चाय के पौधे नि:शुल्क उपलब्ध कराए जाएंगे और चाय की बुआई को बढ़ावा देने के लिए अगले साल से जमीन तैयार करने के लिए वित्तीय सहायता भी मुहैया कराई जाएगी।
पथिराना ने कहा, हमें अब नए तरीकों की ओर रुख करना चाहिए। मैन्युअल रूप से चाय तोड़ने के बजाय, हमें चाय तोड़ने वाली मशीनों पर ध्यान देना चाहिए। दुनिया के कई देश चाय बागानों में ऐसी नई तकनीकों को अपनाते हैं।
उन्होंने कहा, नई पौधरोपण विधियों की ओर बढ़ते हुए हम बंजर भूमि का उपयोग करने की उम्मीद करते हैं जो वर्तमान में चाय के रोपण के लिए उपयोग नहीं की जाती है। अगले साल की शुरूआत से इस परियोजना को लागू करने के लिए कदम उठाए जाएंगे।
चाय ने 2020 में श्रीलंका के निर्यात राजस्व का 12 प्रतिशत हिस्सा बनाया।
चाय उत्पादन द्वीप राष्ट्र के लिए विदेशी मुद्रा के मुख्य स्रोतों में से एक है। यह प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से 1 मिलियन से अधिक लोगों को रोजगार देता है।
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Source : IANS