भारत की आपत्ति पर श्रीलंका ने ड्रैगन से चीनी जासूसी पोत दौरा टालने को कहा
भारत ने सुरक्षा कारणों से पोत के हंबनटोटा आने पर आपत्ति जताई थी. बताते हैं कि शोध-अनुसंधान पोत बताया जा रहा युआंग वैंग-5 वास्तव में एक जासूसी पोत है, जो हंबनटोटा में लंगर डाल समुद्री सतह की छानबीन करेगा.
highlights
- 12 जुलाई को ड्रैगन के दबाव में श्रीलंका ने दी थी लंगर डालने की अनुमति
- भारत ने सुरक्षा कारणों का हवाला देकर जताई थी पोत पर आपत्ति
कोलंबो:
भारत (India) के आपत्ति जताने के बाद श्रीलंका की रानिल विक्रमसिंघे (Ranil Wickremesinghe) सरकार ने बीजिंग प्रशासन से कहा है कि वह अगली बातचीत तक अपने स्पेस सैटेलाइट ट्रैकर पोत युआंग वैंग-5 (Yuan Wang 5) की हंबनटोटा बंदरगाह पर लंगर डालने का दौरा टाल दे. युआंग वैंग-5 चीन को लीज पर दिए गए हंबनटोटा (Hambantota) बंदरगाह पर ईंधन भरवाने और खाद्य आपूर्ति के लिए 11 अगस्त को लंगर डालने वाला है और फिर 17 अगस्त को रवाना हो जाएगा. कोलंबो (Colombo) में कूटनीतिक सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक श्रीलंका के विदेश मंत्रालय ने चीनी दूतावास से पोत की दौरा टालने का मौखिक अनुरोध किया है. इसके पहले श्रीलंका सरकार ने 12 जुलाई को युआंग वैंग-5 पोत को हंबनटोटा बंदरगाह पर लंगर डालने की अनुमति दी थी. भारत ने चीनी पोत के हंबनटोटा बंदरगाह पर लंगर डालने पर सुरक्षा कारणों से श्रीलंका से सख्त आपत्ति जताई थी.
जासूसी करने आ रहा है चीनी पोत
शोध-अनुसंधान बतौर प्रचारित किया जा रहा युआंग वैंग-5 पोत का निर्माण 2007 में हुआ था और यह 11 हजार टन भार ले जाने में सक्षम है. यह पोत जियांगयिन पोत से 13 जुलाई को रवाना हुआ था. फिलहाल यह ताइवान के पास है, जहां चीन अमेरिकी प्रतिनिधि अध्यक्ष नैंसी पेलोसी के दौरे के खिलाफ ताइपे के खिलाफ आक्रामक सैन्य अभ्यास कर रहा है. मेरीन ट्रैफिक वेबसाइट के मुताबिक फिलवक्त युआंग वैंग-5 पोत दक्षिण जापान और ताइवान के उत्तर-पूर्व में पूर्वी चीनी सागर में है. भारत ने सुरक्षा कारणों से पोत के हंबनटोटा आने पर आपत्ति जताई थी. बताते हैं कि शोध-अनुसंधान पोत बताया जा रहा युआंग वैंग-5 वास्तव में एक जासूसी पोत है, जो हंबनटोटा में लंगर डाल समुद्री सतह की छानबीन करेगा. चीनी नौसेना के पनडुब्बी रोधी अभियानों के लिहाज से यह पोत संवेदनशील जानकारी जुटाने के मकसद से आ रहा है.
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श्रीलंका पर दबाव डाल ड्रैगन ने ली अनुमति
माना जा रहा है कि श्रीलंका सरकार पर दबाव बनाकर बीजिंग प्रशासन ने हंबनटोटा बंदरगाह पर पोत के लंगर डालने की अनुमति हासिल की. ड्रैगन का कहना था कि अनुमति नहीं मिलने पर दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों पर नकारात्मक असर पड़ेगा. इसी कारण रानिल विक्रमसिंघे मंत्रिमंडल के प्रवक्ता ने 2 अगस्त को ईंधन भरवाने के लिए पोत को हंबनटोटा बंदरगाह पर लंगर डालने देने की अनुमति देने की घोषणा की थी. हालांकि इसके तुरंत बाद भारत ने आपत्ति दर्ज कराई थी. गौरतलब है कि ऐतिहासिक मंदी झेल रहे श्रीलंका के साथ मोदी सरकार कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है. मोदी सरकार ने पेट्रोल, डीजल, प्राकृतिक गैस, खाद्यान्न और दवाओं के रूप में 3.5 बिलियन डॉलर की सहायता उपलब्ध कराई है. इसके साथ ही भारत ने श्रीलंका की क्रेडिट लाइन भी बढ़ा दी है.
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