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चीन के युवाओं को नहीं मिल रही लड़की, परफेक्ट लाइफ पार्टनर की तलाश में चलाई गई स्पेशल ट्रेन

चीन के युवाओं को इन दिनों जीवनसाथी नहीं मिल रहा है. एक बच्चे की नीति (One Child Policy) की वजह से बड़ी संख्या में लिंग अंतर की स्थिति पैदा हो गई है. इस समस्या से निपटने के लिए चीन ने एक अनोखा पहल किया है.

Updated on: 31 Aug 2019, 05:07 PM

नई दिल्ली:

चीन के युवाओं को इन दिनों जीवनसाथी नहीं मिल रहा है. एक बच्चे की नीति (One Child Policy) की वजह से यहां बड़ी संख्या में लिंग अंतर की स्थिति पैदा हो गई है. इस समस्या से निपटने के लिए चीन ने एक अनूठी पहल की है. चीन ने 1,000 से ज्यादा युवा पुरुषों और महिलाओं ने एक साथ इस महीने की शुरुआत में एक खास तरह की ट्रेन से यात्रा की.इस रेल यात्रा का मकसद सही जीवन साथी की तलाश है.

एशिया वन मीडिया के मुताबिक, चोंगकिंग नॉर्थ स्टेशन से कियानजियांग स्टेशन तक की दो दिन और एक रात की ये यात्रा 10 अगस्त को शुरू हुई थी. इस दौरान लड़के और लड़कियां आपस में मिल रहे थे और अपने परफेक्ट लाइफ पार्टनर की तलाश कर रहे थे. मीडिया रिपोर्ट की मानें तो 10 डब्बों वाली 'लव-परस्यूट ट्रेन' को तीन साल पहले देश के 200 मिलियन सिंगल लोगों के लिए रोस्टिंग मैच-मेकिंग सेवा के तौर पर लॉन्च किया गया था.

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इस ट्रेन में अब तक 3,000 से ज्यादा युवाओं ने सफर किया और एक दूसरे से मिलने के बाद 10 से ज्यादा जोड़ों ने एक दूसरे को जीवन साथी बना लिया. इतना ही नहीं कई तो बहुत ही अच्छे दोस्त बन गए. इस ट्रेन का हिस्सा बने हुए हुआंग सांग नाम के शख्स ने बताया, 'भले ही आप अपने लिए सही जोड़ीदार नहीं खोज पाएं, फिर भी आप ट्रेन में बहुत सारे अच्छे दोस्त बना सकते हैं.'

यांग हुआन ने कहा कि वह पहले से ही 'लव-परस्यूट ट्रेन' की यात्रा के दौरान खुद को एक अच्छा प्रेमी पाया. हमें केवल वापसी यात्रा पर एक-दूसरे का पता चला और हमें मेल खाने वाले मूल्यों का एहसास हुआ.

बता दें कि 1970 के दशक के दौरान अपनाई गई 'एक बच्चे की नीति' (One Child Policy) की वजह से लोगों अब एहसास हुआ कि 30 सालों में उन्हें जीवन साथी ही नहीं मिल पाएगा. 30 मिलियन चीनी पुरुषों को एक बच्चे की नीति की वजह से अब परफेक्ट पार्टनर की तलाश के लिए मशक्त करनी पड़ रही है. हालांकि 2016 में इस नीति एक बच्चे की नीति को खत्म कर दिया गया था.

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बता दें कि इस नीति की वजह से कई जोड़ों ने लड़का पैदा करने के लिए अजन्मी लड़कियों को गर्भ में ही मार देने का फैसला लिया, जिस वजह से ये जेंडर असंतुलन कायम हुआ.
जिसका नुकसान यह हुआ है कि 2018 के बाद 1000 में से केवल 7.2 प्रतिशत लोगों को ही शादी करने का मौका मिल रहा है.