logo-image

शेर बहादुर देउबा बनेंगे नेपाल के नए प्रधानमंत्री

नेपाल के सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश देते हुए सोमवार को राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी को निर्देश दिया कि नेपाली कांग्रेस प्रमुख देउबा को मंगलवार तक प्रधानमंत्री नियुक्त किया जाए

Updated on: 12 Jul 2021, 11:17 PM

दिल्ली :

नेपाल (Nepal) के सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को भंग प्रतिनिधि सभा को करीब 5 महीने में दूसरी बार बहाल करते हुए प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली (PM KP Sharma Oli) को बड़ा झटका दिया है. फिलबाल ओली संसद में विश्वास मत हारने के बाद अल्पमत सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं. नेपाल के अगले प्रधानमंत्री नेपाल कांग्रेस के प्रमुख शेर बहादर देउबा होंगे. नेपाल के सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश देते हुए सोमवार को राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी को निर्देश दिया कि नेपाली कांग्रेस प्रमुख देउबा को मंगलवार तक प्रधानमंत्री नियुक्त किया जाए और पांच महीने में दूसरी बार प्रतिनिधि सभा को बहाल कर दिया जाएगा.

शेर बहादुर देउबा साल 1995 से लेकर 1997 तक और उसके बाद साल 2001 से लेकर 2002 तक फिर साल 2004 से लेकर 2005 तक पीएम रह चुके हैं. प्रधान न्यायाधीश चोलेंद्र शमशेर राणा के नेतृत्व वाली उच्चतम न्यायालय की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली की अनुशंसा पर राष्ट्रपति भंडारी का निचले सदन को भंग करने का फैसला असंवैधानिक कृत्य था. इसे वयोवृद्ध कम्युनिस्ट नेता के लिये बड़े झटके के तौर पर देखा जा रहा है, जो समय पूर्व चुनावों की तैयारी कर रहे थे.

चुनावों को लेकर अनिश्चितता के बीच निर्वाचन आयोग ने पिछले हफ्ते मध्यावधि चुनावों के कार्यक्रम की घोषणा की थी. नेपाली कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्षी गठबंधन द्वारा दायर याचिका समेत करीब 30 याचिकाएं राष्ट्रपति द्वारा सदन को भंग किए जाने के खिलाफ दायर की गई थीं.

विपक्षी दलों के गठबंधन की तरफ से भी एक याचिका दायर की गई थी, जिस पर 146 सांसदों के हस्ताक्षर थे और इसमें संसद के निचले सदन को फिर से बहाल करने तथा देउबा को प्रधानमंत्री नियुक्त किये जाने की मांग की गई थी. नेपाल पिछले साल 20 दिसंबर को तब सियासी संकट में घिर गया था, जब सत्ताधारी नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) में वर्चस्व को लेकर मची खींचतान के बीच प्रधानमंत्री ओली की अनुशंसा पर राष्ट्रपति भंडारी ने संसद के निचले सदन को भंग कर दिया था और 30 अप्रैल तथा 10 मई को नए चुनाव कराने की घोषणा की थी. सुप्रीम कोर्ट ने 23 फरवरी को प्रधानमंत्री ओली को झटका देते हुए भंग की गई प्रतिनिधि सभा को बहाल करने के आदेश दिए थे.