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शेर बहादुर देउबा ने नेपाल के पीएम के तौर पर शपथ ली, पहले किया था मना

नेपाली कांग्रेस ने राष्ट्रपति के दफ्तर के उस बयान पर आपत्ति जताई जिसमें उस संवैधानिक प्रावधान का उल्लेख नहीं था जिसके तहत देउबा को प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया है.

Updated on: 13 Jul 2021, 11:01 PM

highlights

  • शेर बहादुर देउबा ने ली शपथ नेपाल पीएम पद की शपथ
  • इससे पहले उन्होंने शपथ लेने से इनकार कर दिया था
  • नियुक्ति पत्र में सुधार की मांग की है

काठमांडू:

नेपाल के नवनियुक्त नेपाली प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा ने मंगलवार को नेपाल के प्रधान मंत्री के रूप में शपथ ली. मालूम हो कि इससे पहले उन्होंने शपथ लेने से इनकार कर दिया था. साथ ही नियुक्ति पत्र में सुधार की मांग की है. उन्होंने कहा है कि नियुक्ति पत्र में संवैधानिक खंड का उल्लेख नहीं है, जिसके तहत उन्हें नियुक्त किया गया है. यह जानकारी न्यूज एजेंसी एएनआई ने दी है. मालूम हो कि इससे पहले राष्ट्रपति कार्यालय ने कहा था कि नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा को संविधान के अनुच्छेद 76 (5) के अनुसार राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी द्वारा प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त किया गया है. उच्चतम न्यायालय के दखल के बाद नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा मंगलवार को आधिकारिक तौर पर पांचवीं बार देश के प्रधानमंत्री बने. उनके नियुक्त पत्र को लेकर विवाद पैदा हो गया था, जिस वजह से शपथ ग्रहण समारोह दो घंटे देरी से आयोजित हुआ.

यहां राष्ट्रपति दफ्तर शीतल निवास में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने 75 वर्षीय वरिष्ठ राजनीतिक नेता को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई. नियुक्ति पत्र को लेकर हुए विवाद की वजह से शपथ ग्रहण समारोह रात करीब सवा आठ बजे आयोजित हुआ जिसे शुरू में शाम छह बजे (भारतीय समयानुसार पौने छह बजे) आयोजित होना था.

नेपाली कांग्रेस ने राष्ट्रपति के दफ्तर के उस बयान पर आपत्ति जताई जिसमें उस संवैधानिक प्रावधान का उल्लेख नहीं था जिसके तहत देउबा को प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया है. देउबा की नियुक्ति ने केपी शर्मा ओली के प्रधानमंत्री के रूप में साढ़े तीन साल के कार्यकाल पर विराम लगा दिया. ओली ने शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा नहीं लिया. देउबा की छोटी कैबिनेट के हिस्से के तौर पर चार नए मंत्रियों ने भी शपथ ली है जिनमें नेपाली कांग्रेस (नेकां) और सीपीएन-माओइस्ट सेंटर के दो-दो सदस्य शामिल हैं.

नेकां के बालकृष्ण खंड और ज्ञानेंद्र बहादुर कार्की ने क्रमशः गृह मंत्री और कानून तथा संसदीय कार्य के मंत्री के रूप में शपथ ली है. माओइस्ट सेंटर से पम्फा भुषाल और जनार्दन शर्मा को क्रमश: ऊर्जा मंत्री और वित्त मंत्री नियुक्त किया गया है. इस मौके पर प्रधान न्यायाधीश राणा, सीपीएन-माओइस्ट सेंटर के अध्यक्ष पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' और सीपीएन-यूएमएल के वरिष्ठ नेता माधव कुमार नेपाल भी मौजूद थे.

यह पांचवीं बार है जब देउबा ने नेपाल के प्रधानमंत्री के तौर पर सत्ता में वापसी की है. इससे पूर्व देउबा चार बार- पहली दफा सितंबर 1995- मार्च 1997, दूसरी बार जुलाई 2001- अक्टूबर 2002, तीसरी बार जून 2004- फरवरी 2005 और चौथी बार जून 2017- फरवरी 2018 तक- प्रधानमंत्री रह चुके हैं. इससे पहले 69 वर्षीय ओली ने शीर्ष अदालत पर विपक्षी पार्टियों के पक्ष में ‘जानबूझकर’ फैसला पारित करने का आरोप लगाया. ओली ने दावा किया कि अधिकांश लोग अब भी उनका समर्थन करते हैं लेकिन वह शीर्ष अदालत के आदेश को लागू करने के लिए पद छोड़ रहे हैं. उन्होंने कहा कि सरकार सफल रही क्योंकि वह देश भर में विकास कार्यों में तेजी लाई और कोविड -19 संकट को नियंत्रित करने के प्रयास किए.