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'पश्‍चिम के प्रभाव में आ चुके हैं शाहिद अफरीदी', उइगर मुसलमानों के मुद्दे पर चीन का करारा जवाब

पूर्व क्रिकेटर शाहिद अफरीदी ने बीते सोमवार को ट्वीट कर सीधे देश के प्रधानमंत्री इमरान खान से आग्रह किया था कि वह 'चीन में उइगर मुसलमानों के साथ होने वाले जुल्म पर आवाज उठाएं.'

Updated on: 27 Dec 2019, 08:09 AM

इस्लामाबाद:

चीन (China) ने अपने शिनजियांग इलाके में उइगर मुसलमानों (Uygar Muslims) के मुद्दे को उठाने पर पाकिस्तान (Pakistan) के पूर्व क्रिकेटर शाहिद अफरीदी (Shahid Afridi) को जवाब दिया है. चीन ने अफरीदी से कहा है कि वह 'दुष्प्रचार के प्रभाव में न आएं और खुद आकर स्थितियों को देखें.' पूर्व क्रिकेटर शाहिद अफरीदी ने बीते सोमवार को ट्वीट कर सीधे देश के प्रधानमंत्री इमरान खान से आग्रह किया था कि वह 'चीन में उइगर मुसलमानों के साथ होने वाले जुल्म पर आवाज उठाएं.' गौरतलब है कि चीन पर पाकिस्तान की निर्भरता किसी से छिपी नहीं है. ऐसे में पाकिस्तान लगातार उइगर मुसलमानों के मुद्दे को चीन का आंतरिक मामला बताकर परोक्ष रूप से चीन का पक्ष लेता रहा है.

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अफरीदी ने ट्वीट किया था, "उइगर मुसलमानों के खिलाफ जुल्म सुनकर दिल टूट रहा है. प्रधानमंत्री इमरान खान से गुजारिश है कि आप उम्मत (मुस्लिम समुदाय) को संगठित करने की बात कहते हैं तो इस बारे में भी थोड़ा सोचें. चीनी हुकूमत से अपील है कि वह भगवान के लिए, अपने मुल्क में मुसलमानों का उत्पीड़न रोके."

अफरीदी के बयान पर जब विवाद बढ़ा तो उन्होंने अपने ट्वीट को डीलिट कर दिया, लेकिन चीन पर इस ट्वीट को हटाने का असर नहीं हुआ. चीनी विदेश मंत्रालय के सूचना विभाग के उपनिदेशक ली जिन झाओ ने अफरीदी के ट्वीट के जवाब में ट्वीट किया.

चीनी अधिकारी ने अफरीदी को संबोधित करते हुए लिखा, "मुझे लगता है कि आप चीन के खिलाफ पश्चिम (देशों) के प्रोपेगेंडे से काफी गुमराह हो चुके हैं. हालात देखने के लिए चीन के शिनजियांग क्षेत्र में आपका स्वागत है. आपको एक बिलकुल अलग शिनजियांग देखने को मिलेगा."

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उन्होंने कहा कि पश्चिमी जगत चीन को नीचा दिखाने की कोशिश कर रहा है और मुसलमानों को उसके खिलाफ भड़का रहा है. चीन के शिनजियांग इलाके में एक करोड़ से अधिक उइगर मुसलमान रहते हैं जिनमें से एक बड़ी संख्या को कथित रूप से डिटेंशन सेंटर में रखा जा रहा है. उइगर और अन्य अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न के आरोप में अमेरिका ने चीन की 28 सरकारी व गैरसरकारी संस्थाओं पर प्रतिबंध लगाया हुआ है, जबकि चीन का कहना है कि यह हिरासती केंद्र नहीं बल्कि शिक्षण व रोजगार कौशल को सिखाने के केंद्र हैं जहां कट्टरपंथ के खिलाफ शिक्षा दी जाती है.