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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही का प्रस्ताव सीनेट को सौंपा

ट्रंप के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए चुने गए प्रतिनिधि सभा के प्रबंधकों सहित अधिकारियों ने सीनेट के एक कर्मी को नीले रंगे के फोल्डर में यह प्रस्ताव सौंपा.

Updated on: 16 Jan 2020, 09:45 AM

वाशिंगटन:

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही बुधवार को अमेरिका के ऊपरी सदन सीनेट को भेज दी गई. निचले सदन में चल रही महाभियोग की कार्यवाही को ऊपरी सदन सीनेट भेजने के पक्ष में सांसदों ने मतदान किया था. सीनेट में कार्यवाही चलाए जाने के पक्ष में 228 सांसदों ने जबकि विपक्ष में 193 सांसदों ने वोट दिया था. महाभियोग को रिपब्लिकन-नियंत्रित सीनेट भेजे जाने से पहले अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैन्सी पैलोसी ने इसके तहत लगाए गए आरोपों पर हस्ताक्षर किए थे. इन आरोपों पर हस्ताक्षर करने से पहले पैलोसी ने कहा, ‘हमारे देश के लिए यह बेहद दुखद, बेहद त्रासदीपूर्ण है कि राष्ट्रपति ने हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा को कमजोर करने, अपने पद की शपथ का उल्लंघन करने और हमारे चुनाव की सुरक्षा को खतरे में डालने के लिए कदम उठाए.’

ट्रम्प के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए चुने गए प्रतिनिधि सभा के प्रबंधकों सहित अधिकारियों ने सीनेट के एक कर्मी को नीले रंगे के फोल्डर में यह प्रस्ताव सौंपा. इसके बाद सीनेट में बहुमत दल के नेता मिच मैक्कॉनेल ने प्रतिनिधि सभा के प्रबंधकों को सीनेट आमंत्रित किया जो गुरुवार दोपहर 12 बजे आरोपों को औपचारिक रूप से पढ़ेंगे. अमेरिकी उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश जॉन रॉबर्ट स्थानीय समयानुसार दोपहर दो बजे शपथ दिलाने के लिए वहां पहुंचेंगे.

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मिच मैक्कॉनेल ने कहा, ‘ चीफ जस्टिस हम सभी सीनेटरों को शपथ दिलाएंगे.’ अमेरिकी इतिहास में तीसरी बार सीनेट महाभियोग अदालत का रूप लेगी. मैककॉनेल ने कहा, ‘सुनवाई मंगलवार को शुरू की जाएगी.’ उन्होंने कहा, ‘हम तुच्छ गुटबाजी से ऊपर उठकर अपनी संस्थाओं के लिए, अपने राज्यों के लिए और राष्ट्र के लिए न्याय करेंगे.’ 

बता दें कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ महाभियोग जांच चल रही है. हाउस इंटेलिजेंस कमेटी के अध्यक्ष एडम शिफ ने एक बयान में कहा था कि यूक्रेन के लिए मौजूदा शीर्ष अमेरिकी राजनयिक विलियम टेलर सहित दो अमेरिकी अधिकारी बुधवार को अपना बयान दर्ज कराएंगे. टेलर ने ही आरोप लगाए थे कि ट्रंप ने जांच के लिए यूक्रेन पर दबाव बनाने के लिए कहा था, ताकि राजनीतिक रूप से राष्ट्रपति को फायदा हो.

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डोनाल्ड ट्रंप की सरकार में भारतीय IT कंपनियों के साथ भेदभाव बढ़ा: रिपोर्ट

ट्रंप प्रशासन की अति प्रतिबंधात्मक नीतियों के चलते एच-1बी आवेदनों को खारिज किए जाने की दर 2015 के मुकाबले इस साल बहुत अधिक बढ़ी हैं. एक अमेरिकी थिंक टैंक की तरफ से किए गए अध्ययन में यह भी सामने आया है कि नामी गिरामी भारतीय आईटी कंपनियों के एच-1बी आवेदन सबसे ज्यादा खारिज किए गए हैं. ये आंकड़ें उन आरोपों को एक तरह से बल देते हैं कि मौजूदा प्रशासन अनुचित ढंग से भारतीय कंपनियों को निशाना बना रहा है.

नेशनल फाउंडेशन फॉर अमेरिकन पॉलिसी की ओर से किए गए इस अध्ययन के मुताबिक 2015 में जहां छह प्रतिशत एच-1बी आवेदन खारिज किए जाते थे, वहीं मौजूदा वित्त वर्ष में यह दर बढ़कर 24 प्रतिशत हो गई है. यह रिपोर्ट अमेरिका की नागरिकता और आव्रजन सेवा यानि यूएससीआईएस से प्राप्त आंकड़ों पर आधारित है.

उदाहरण के लिए 2015 में अमेजन, माइक्रोसॉफ्ट, इंटेल और गूगल में शुरुआती नौकरी के लिए दायर एच-1बी आवेदनों में महज एक प्रतिशत को खारिज किया जाता था. वहीं 2019 में यह दर बढ़कर क्रमश: छह, आठ, सात और तीन प्रतिशत हो गई है. हालांकि एप्पल के लिए यह दर दो प्रतिशत ही बनी रही.