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श्रीलंका में पेपर की कमी से स्कूली परीक्षा रद्द, पाई-पाई को मोहताज हुआ देश

पश्चिमी प्रांत के शिक्षा विभाग ने कहा, स्कूल के प्रिंसिपल टेस्ट नहीं करा सकते क्योंकि प्रिंटिग पेपर और स्याही के आयात विदेशी मुद्रा को जुटाने में असमर्थ है.

Updated on: 20 Mar 2022, 01:35 PM

highlights

  • आजादी के बाद सबसे बड़े आर्थिक संकट में जूझ रहा है श्रीलंका
  • परीक्षा रद्द होने से श्रीलंका में लाखों स्कूली छात्र नहीं दे पाएंगे टेस्ट
  • 45 लाख छात्रों में से लगभग दो तिहाई को होना पड़ सकता है परीक्षा से वंचित  

कोलंबो:

Sri Lanka cancels school exams : श्रीलंका इन दिनों अपने आर्थिक तंगी से जूझ रहा है. आर्थिक तंगी की वजह से लाखों स्कूली छात्रों के लिए परीक्षा रद्द कर दी है. पैसे के अभाव में देश में प्रिंटिंग पेपर की कमी हो गई है. यहां तक कि कोलंबो के पास पेपर आयात के लिए भी पर्याप्त डॉलर्स तक नहीं है. शिक्षा अधिकारियों ने कहा कि सोमवार से एक सप्ताह के लिए निर्धारित टर्म टेस्ट पेपर की भारी कमी के कारण परीक्षा को अनिश्चित काल तक के लिए स्थगित कर दिया गया है, क्योंकि श्रीलंका 1948 में आजादी के बाद से अपने सबसे खराब वित्तीय संकट से जूझ रहा है.

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पश्चिमी प्रांत के शिक्षा विभाग ने कहा, स्कूल के प्रिंसिपल टेस्ट नहीं करा सकते क्योंकि प्रिंटिग पेपर और स्याही के आयात विदेशी मुद्रा को जुटाने में असमर्थ है. आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि ऐसी स्थिति आने से देश के 45 लाख छात्रों में से लगभग दो तिहाई को परीक्षा देने से वंचित होना पड़ सकता है.  

  श्रीलंका को 6.9 अरब डॉलर के कर्ज को चुकाने की जिम्मेदारी

इस साल श्रीलंका के ऊपर लगभग 6.9 अरब डॉलर के कर्ज को चुकाने की जिम्मेदारी है, लेकिन फरवरी के अंत तक इसका विदेशी मुद्रा भंडार सिर्फ 2.3 अरब डॉलर ही है. इस कारण अन्य आवश्यक चीजों को खरीदने के लिए श्रीलंका के पास विदेशी मुद्रा की भारी कमी है. तेल और खाने-पीने की आवश्यक वस्तुओं के लिए लोगों की लंबी लाइनें लगी हुई हैं. दूध पाउडर, चीनी, दाल और चावल के राशनिंग के लिए भी लाइनें लगी हुई हैं. बिजली में भारी कटौती की जा रही है.

IMF से आर्थिक सहायता की मांग

22 मिलियन के नकदी-संकट वाले दक्षिण एशियाई राष्ट्र ने इस सप्ताह घोषणा की कि वह अपने बिगड़ते विदेशी ऋण संकट को हल करने और बाहरी भंडार को बढ़ाने के लिए IMF से आर्थिक मदद की मांग करेगा. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने शुक्रवार को पुष्टि की कि वह राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के अनुरोध पर आर्थिक सहायता की मांग पर चर्चा करने पर विचार कर रहा है. इस साल कोलंबो के करीब 6.9 अरब डॉलर के कर्ज को चुकाने की जरूरत है, लेकिन फरवरी के अंत में इसका विदेशी मुद्रा भंडार करीब 2.3 अरब डॉलर था. श्रीलंका ने इस साल की शुरुआत में अपने मुख्य लेनदारों में से एक चीन से कर्ज चुकाने को लेकर मदद करने के लिए कहा था, लेकिन बीजिंग की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है. 

हाल ही में भारत ने दी एक अरब डॉलर की सहायता

भारी वित्तीय संकट से जूझते श्रीलंका की आर्थिक स्थिति को संभालने के लिए भारत ने एक अरब डॉलर की आसान शर्तों पर वित्तीय सहायता दी है. हाल ही में नई दिल्ली की यात्रा पर आए श्रीलंका के वित्त मंत्री बासिल राजपक्षे ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ हुई संयुक्त मुलाकात में इस वित्तीय मदद से जुड़े समझौते पर हस्ताक्षर किए गए. एक अरब डॉलर की जो मदद दी जाएगी उसका इस्तेमाल श्रीलंका की सरकार अनाज, दवाइयों और दूसरे आवश्यक वस्तुओं के आयात के लिए करेगी.

भारत पहले भी दे चुका है आर्थिक मदद

भारत पहले ही श्रीलंका को 141.52 करोड़ डॉलर की आर्थिक मदद दे चुका है. इनमें 50 करोड़ डॉलर की मदद भारत से पेट्रोलियम उत्पादों के आयात के लिए था जबकि 40 करोड़ डॉलर और 51.52 करोड़ डॉलर की मदद दो अन्य मदद दी गई है.

देश में 1948 के बाद सबसे बड़ी मंदी

श्रीलंका 1948 में आजादी के बाद से अपने सबसे खराब वित्तीय संकट से जूझ रहा है. श्रीलंका के ऊपर पहले से ही चीन का भारी कर्ज है. चीन लंबे समय से इस एशियाई देश पर दबाव बढ़ाता रहा है. देश की अर्थव्यवस्था की हालत इतनी खराब है कि लोगों को सस्ती ब्रेड और राशन तक नहीं मिल पा रहा है. बिजली संकट भी बहुत ज़्यादा है. श्रीलंका की बिगड़ती विदेशी मुद्रा की स्थिति ने ऊर्जा क्षेत्र को गंभीर रूप से प्रभावित किया है. देश अपनी तेल जरूरतों के लिए पूरी तरह से आयात पर निर्भर है.