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सऊदी अरब ने भिखारी पाकिस्तान को इन कड़ी शर्तों पर दिया कर्ज, जानकर रह जाएंगे दंग

सऊदी अरब की ऐसी शर्तें हैं कि शायद ही कोई देश इनपर कर्ज ले. कहा जा रहा है कि प्रधानमंत्री इमरान खान ने शायद कर्ज लेते समय शर्ते नहीं पढ़ी हैं.

Updated on: 02 Dec 2021, 08:06 PM

नई दिल्ली:

Saudi Arabia Loan Terms For Pakistan : कंगाल पाकिस्तान (Pakistan) को कोई देश कर्ज देने के लिए तैयार नहीं है. अगर बाई चांस कोई देश पाकिस्तान को कर्ज के लिए तैयार भी हो जाता है तो बेहद कड़ी शर्तों के साथ ऋण देता है. इसी क्रम में पाकिस्तान के आर्थिक संकट और रिकॉर्ड स्तर पर लिए जाने वाले कर्ज को ध्यान में रखते हुए सऊदी अरब ने इस बार उसे बेहद कड़ी शर्तों के साथ कर्ज दिया है. 

सऊदी अरब की ऐसी शर्तें हैं कि शायद ही कोई देश इनपर कर्ज ले. कहा जा रहा है कि प्रधानमंत्री इमरान खान ने शायद कर्ज लेते समय शर्ते नहीं पढ़ी हैं. हालांकि, पाक ने 4.2 अरब डॉलर के ऋण का समझौता कर लिया है. इसे लेकर पाकिस्तान के मंत्री फवाद चौधरी ने कहा कि पाकिस्तान को सऊदी अरब ने एक साल के लिए तीन अरब डॉलर की नकद जमा राशि देने पर सहमति जताई है, जिसमें कहा गया है कि देश 3 दिन के नोटिस पर इसे किसी भी समय वापस करने को बाध्य होगा.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पाक के फाइनेंशियल सपोर्ट को रिवाइव करने को सऊदी अरब तैयार हो गया है. इससे इमरान की कैबिनेट ने तीन अरब डॉलर सुरक्षित जमा (कैश रिजर्व) और 1.2 अरब डॉलर मूल्य की तेल आपूर्ति डैफर्ड पेमेंट पर लेने को सहमति जताई है. गत माह पीएम इमरान खान सऊदी अरब गए थे, तभी दोनों देशों के बीच इस समझौते पर बात हुई, लेकिन मजे की बात ये है कि ये कैश रिजर्व तो सिर्फ दिखाने के लिए है, खर्च करने के लिए नहीं. इसे चाहकर भी इमरान सरकार खर्च नहीं कर सकते. यह पैसा दिखावे के लिए सिर्फ बैंक में होगा.

पाकिस्तान के पास इस बार रोलओवर का कोई आप्शन नहीं है और एक साल बाद उसे कर्ज वापस करना होगा. अगर पाकिस्तान से इस दौरान कोई गलती होती है तो सऊदी अरब के लिखित अनुरोध पर उसे 72 घंटे में पैसा लौटाना पड़ सकता है. पाकिस्तान के वित्त मंत्रालय का हवाला देते हुए मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि तीन अरब डॉलर पर चार प्रतिशत की दर से ब्याज देना होगा. यह ब्याज दर पिछली बार मिली मदद से एक चौथाई ज्यादा है. उस समय ब्याज की दर 3.2 प्रतिशत थी. इसका अर्थ यह हुआ कि पाक को कर्ज पर 120 मिलियन डॉलर का ब्याज देना होगा. पाकिस्तान के लोग इन शर्तों से काफी नाराज हैं.

सूत्रों के अनुसार, पाक मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि डिफॉल्ट होने की स्थिति पर सऊदी अरब ने शर्तें रखी हैं कि वह तुरंत कैश डिपोजिट निकाल सकता है. अगर ब्याज भुगतान में देरी होती है तो समझौते का डिफॉल्ट माना जाएगा. इस बार सऊदी अरब द्वारा कड़ी शर्तें इसलिए रखी गई हैं क्योंकि पाकिस्तान को पिछली बार उसका एक बिलियन अमेरिकी डॉलर लौटाने में समस्याएं आई थीं. उस समय पाकिस्तान को अपने दोस्त चीन से पैसे लेकर सऊदी अरब को देने पड़े थे.