भारत की कूटनीतिक स्तर (Diplomacy) पर लुक ईस्ट नीति (Look East Policy) नीति रंग दिखा रही है. मुस्लिम देशों के संगठन ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन (OIC) ने अब पाकिस्तान खासकर उसके वजीर-ए-आजम इमरान खान को आईना दिखाया है. 9 फरवरी से जेद्दाह में शुरू हो रही ओआईसी की बैठक में जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir)का मसला उठाकर प्रोपेगंडा फैलाने का पाकिस्तान का इरादा नाकाम हो गया है. सऊदी अरब ने भी इस मुद्दे पर पाकिस्तान (Pakistan) को ठेंगा दिखा दिया है. पिछले साल अगस्त में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 (Article 370) हटाये जाने के बाद से पाकिस्तान हर मंच पर कश्मीर का मुद्दा उठा रहा है लेकिन हर जगह उसे झटका ही लग रहा है.
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सऊदी ने नहीं मानी पाकिस्तान की बात
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने ओआईसी की बैठक को ध्यान में रखकर कहा था कि कश्मीर पर मुस्लिम देशों को एकजुटता का संदेश देना चाहिए. हालांकि कश्मीर पर सऊदी की आरे से इंकार के बाद पाकिस्तान के मंसूबों पर पानी फिर गया है. इससे पहले मलेशिया में भी मुस्लिम देशों ने जम्मू कश्मीर पर चुप्पी साध ली थी, जिसके बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा था कि मुस्लिम देशों को धार्मिक आधार पर एकजुट होना चाहिए. ओआईसी मुस्लिम देशों का संगठन है और चार महादेशों के 57 देश इसके सदस्य हैं.
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भारत की लुक ईस्ट नीति ला रही रंग
गौर करने वाली बात यह है कि भारत की ओर से लुक ईस्ट नीति अपनाने के बाद से सऊदी अरब के साथ रिश्ते मजबूत होते जा रहे हैं. सऊदी के प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान बिन सऊद के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ काफी अच्छे रिश्ते हैं. सऊदी के प्रिंस पिछले साल संदेश दे चुके हैं कि वह भारत और पाकिस्तान दोनों के साथ अलग-अलग दोस्ती के रिश्ते रख रहे हैं. ऐसे में पाकिस्तानी अखबार द डान के मुताबिक ओआईसी की बैठक 9 फरवरी से जेद्दाह में शुरू होने वाली है. पाकिस्तान चाहता है कि विदेश मंत्रियों की बैठक में कश्मीर का मुद्दा उठाया जाए, लेकिन अखबार ने सूत्रों के हवाले से दावा किया है कि सऊदी अरब इस बैठक में कश्मीर के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए तैयार नहीं है.
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कुआलालंपुर नहीं गए थे इमरान
यहां यह भी नहीं भूलना नहीं चाहिए कि इमरान खान पिछले साल दिसंबर में कुआलालंपुर में हुए 20 मुस्लिम देशों के सम्मेलन में शामिल नहीं हुए थे. इस सम्मेलन में ईरान, तुर्की, और कतर जैसे मुल्कों के नेताओं ने शिरकत की थी. तब कहा गया था कि खान कथित रूप से सऊदी अरब के दबाव के कारण सम्मेलन में शरीक नहीं हुए थे. सऊदी अरब खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ सरकार को आर्थिक संकट से निपटने के लिए आर्थिक मदद करता है. एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने सूत्रों के हवाले से कहा कि प्रधानमंत्री खान की यात्रा का मकसद उन गलतफहमियों को दूर करना था जो कुआलालंपुर सम्मेलन में शामिल नहीं होने की वजह से उत्पन्न हुई थीं.
HIGHLIGHTS
- भारत की कूटनीतिक स्तर पर लुक ईस्ट नीति रंग दिखा रही है.
- सऊदी अरब ने भी कश्मीर पर पाकिस्तान को ठेंगा दिखाया.
- मुस्लिम देशों के संगठन में भी पड़े अलग-थलग वजीर-ए-आजम.