रूस और यूक्रेन के बीच 38वें दिन भी जंग जारी है. अभी भी दोनों देशों के बीच कांटे की टक्कर जारी है. इस युद्ध ने यूक्रेन की तस्वीर को पूरी तरह बदल दिया है. हालांकि रूस को भी जंग की भारी कीमत चुकानी पड़ी है. रूस ने स्वीकार किया है कि यूक्रेन युद्ध में अब तक उसके लगभग 10,000 सैनिक मारे गए हैं. एक क्रेमलिन-समर्थित अखबार ने इस आंकड़े का खुलासा किया है और पुतिन के हमले की सही कीमत को उजागर किया है. यूक्रेन पर हमला के वक्त रूस में युद्ध के विरोध में कई प्रदर्शन हुए. लेकिन राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन अपना कदम पीछे नहीं खींचा और अपने निर्णय पर डटे रहे. यूक्रेन युद्ध से रूस और राष्ट्रपति पुतिन की न सिर्फ देश के अंदर बल्कि दुनिया भर में काफी निंदा हुई.
इस बीच रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की लोकप्रियता बढ़ गई है. यूक्रेन में सैन्य कार्रवाई शुरू होने के बाद से व्लादिमीर पुतिन की रेटिंग में बढ़ोत्तरी देखी गई है. इंडिपेंडेंट लेवाडा सेंटर (The Independent Levada Centre) ने कहा है कि 80 फीसदी से अधिक रूसी नागरिक राष्ट्रपति पुतिन के कार्यों का समर्थन करते हैं. 24 फरवरी को मास्को द्वारा यूक्रेन में सैनिकों को भेजने के बाद लेवाडा द्वारा किए गए पहले सर्वेक्षण में कहा गया है कि 83 फीसदी रूस के लोगों ने पुतिन के कार्यों को मंजूरी दी. फरवरी की शुरुआत में ये आंकड़ा 71 फीसदी से ऊपर था.
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रूस लगातार यूक्रेन के सैन्य ठिकानों पर हमले कर रहा है. अब एक ऐसी खबर निकलकर सामने आई है जो पुतिन की नई चिंता को ज़ाहिर करती है. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो रूस के कई नेता पुतिन का खुलकर विरोध कर रहे हैं. विरोध सिर्फ नेताओं औऱ बुद्धिजीवियों तक सीमित नहीं रहा. पुतिन के पर्सनल स्टाफ के लोग भी उनके विरोध पर उतर आए हैं. स्टाफ में कुक, लांडरर्स, बॉडीगार्ड समेत कई अन्य लोग शामिल हैं. व्लादिमीर पुतिन ने पर्सनल स्टाफ के कई कर्मचारियों को बदल दिया है. दरअसल पुतिन को डर सताने लगा है कि उन्हें ज़हर दिया जा सकता है. हालांकि अभी तक ये साफ नहीं हुआ है कि उन्होंने ये बदलाव अभी किया है या पहले किया है.