Russia Ukraine War : भारत ने UNSC में दोहराया- मदद पर न हो राजनीति
रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध (Russia Ukraine War ) को लेकर भारत ने संयुक्त राष्ट्र ( United Nations ) में कूटनीति को लेकर अपना रुख दोहराया है. भारत ने साफ कहा कि मानवीय सहायता का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए.
highlights
- भारत ने कहा कि मानवीय सहायता का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए
- खून बहाकर और निर्दोष लोगों की जान की कीमत पर कोई समाधान नहीं
- युद्ध की वजह से शरणार्थी और विस्थापितों की मदद मानवीय जरूरत है
New Delhi:
रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध (Russia Ukraine War ) को लेकर भारत ने संयुक्त राष्ट्र ( United Nations ) में कूटनीति को लेकर अपना रुख दोहराया है. भारत ने साफ कहा कि मानवीय सहायता का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ( UNSC ) में भारत ने कहा कि ऐसे समय में मानवीय समाधानों का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए. रूस- यूक्रेन युद्ध से यूक्रेन में उत्पन्न खाद्य सुरक्षा चुनौतियों के लिए भारत को इन बाधाओं से परे जाकर जवाब देना होगा.
भारत के उप स्थायी प्रतिनिधि आर रविंद्र ने कहा कि यूक्रेन में मानवीय जरूरतों को ध्यान में रखते हुए संघर्ष के जल्द समाधान की दिशा में रचनात्मक रूप से काम करना ही सभी के हित में है. उन्होंने कहा कि भारत इन दोनों देशों के युद्ध की शुरुआत के बाद से शांति, बातचीत और कूटनीति के लिए जोर देता रहा है. हमारा मानना है कि खून बहाकर और निर्दोष लोगों, खासकर महिलाओं और बच्चों की जान की कीमत पर कोई समाधान नहीं निकाला जा सकता है.
युद्ध के कारण लगातार दयनीय हो रही बच्चों की स्थिति
संयुक्त राष्ट्र के मार्गदर्शक सिद्धांतों के महत्व को दोहराते हुए UNSC की बैठक में रवींद्र ने कहा कि मानवीय कार्रवाई हमेशा मानवीय सहायता के सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए होने चाहिए. उन्होंने जोर देते हुए दोहराया कि इन मानवीय उपायों का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए. सुरक्षा परिषद में भारत ने रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण बच्चों की लगातार दयनीय हो रही स्थिति की ओर सबका ध्यान खींचा. रवींद्र ने कहा कि संघर्ष के बीच बच्चों की स्थिति सबसे ज्यादा चिंताजनक है. उन्हें अतिरिक्त सुरक्षा और देखभाल की जरूरत है. रूस- यूक्रेन संघर्ष के कारण करीब 75 लाख बच्चों के गंभीर रूप से प्रभावित होने की आशंका है.
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लाखों लोग बने शरणार्थी, यूक्रेन में 71 लाख हुए विस्थापित
भारतीय राजनयिक रवींद्र ने संयुक्त राष्ट्र में बताया कि यूक्रेन में युद्ध के बाद लाखों लोगों ने पड़ोसी देशों में शरण ली हुई है. एक अनुमान के मुताबिक करीब 50 लाख लोग पड़ोसी देशों में शरण लेने को मजबूर हैं. वहीं करीब 71 लाख लोग यूक्रेन के भीतर ही विस्थापित हुए हैं. जिसमें ज्यादातर महिलाओं और बच्चे हैं. इनकी मदद मानवीय जरूरत है.
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