Russia Ukraine War : बच्चों के खिलौनों में बम का दावा, लोगों पर सरेंडर का दबाव
डेलीमेल की रिपोर्ट में ब्रिटेन से डॉक्टरी की पढ़ाई पूरी करने वाले यूरोलॉजिस्ट ऑलेक्जेंडर यत्सिन ने दावा किया कि रूसी सैनिक साइकोलॉजिकल स्ट्रेटजी आजमा रहे हैं.
highlights
- रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध डेढ़ महीने से लगातार जारी है
- लोगों को बच्चों की मौत का डर दिखा रहे हैं रूस के सैनिक
- ब्रिटेन से आए यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर ऑलेक्जेंडर यत्सिन का दावा
New Delhi:
रूस और यूक्रेन के बीच डेढ़ महीने से लगातार जारी युद्ध ( Russia Ukraine War ) में हजारों लोगों की जान जा चुकी है और लाखों लोग बेघर हो गए हैं. यूक्रेन के कई शहरों में तबाही और महिलाओं-बच्चों के चीत्कार के बीच हमले और धमाकों का दौर जारी है. इस बीच खबर सामने आई है कि रूस के सैनिक बच्चों की मौत का डर दिखाकर लोगों को सरेंडर करने के लिए मजबूर कर रहे हैं. यूक्रेन की राजधानी कीव में रूसी हमले से घायल लोगों का इलाज में कर रहे एक सर्जन ने दावा किया है कि रूस के सैनिक लोगों पर दबाव के लिए बच्चों के खिलौनों और टेडी बियर में विस्फोटक ( Bombs in Teady Bear ) भरकर धमाके कर रहे हैं.
डेलीमेल की रिपोर्ट में ब्रिटेन से डॉक्टरी की पढ़ाई पूरी करने वाले यूरोलॉजिस्ट ऑलेक्जेंडर यत्सिन ने दावा किया कि रूसी सैनिक साइकोलॉजिकल स्ट्रेटजी आजमा रहे हैं. पोलिश बॉर्डर से कुछ जरूरी सामान लेने के दौरान डॉ. यत्सिन ने बताया किया कि रूसी सैनिक यूक्रेन के नौनिहालों पर हमला करने के लिए तैयार हैं. इसके जरिए यूक्रेन के लोगों को इमोशनली कमजोर करने और सब कुछ छोड़कर यूक्रेन से बाहर जाने के लिए मजबूर करने की कोशिश कर रहे हैं.
बच्चों के जरिए लोगों पर यूक्रेन छोड़ने का दबाव
डॉ. ऑलेक्जेंडर यत्सिन ने एक पैटर्न बताते हुए दावा किया कि रूसी सैनिकों ने पहले यूक्रेन के शहरों पर बमबारी की. फिर लोगों पर गोलीबारी की. सड़कों को लैंडमाइंस बना दिया. इस सब के बाद अब वे सबसे बर्बर तरीका अपनाने पर उतर आए हैं. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सैनिक यूक्रेन के आम लोगों और बच्चों का कत्लेआम करने की ओर बढ़ रहे हैं. आम नागरिकों के परिवारों को निशाना बना रहे हैं. रूस के सैनिक अब बच्चों के खिलौनों में विस्फोटक भरकर धमाके कर रहे हैं.
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ठिकाना बताया तो अस्पताल भी हो सकता है टारगेट
कीव शहर में युद्ध में घायल हुए लोगों का इलाज कर रहे डॉ. ऑलेक्जेंडर यत्सिन इन दिनों अस्पताल में ही खाते और सोते हैं. 24 घंटे मरीजों की देखभाल करने के दौरान वह घायलों के साथ हुए हादसों की रूह कंपा देने वाली कहानियां भी सुनते हैं. उन्होंने बताया कि घायलों की कहानियां सुनकर कई बार खुद भी सहम जाते हैं. डॉ. यत्सिन ने कीव में अस्पताल का नाम बताने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि ऐसा करने पर अस्पताल भी रूस के सैनिकों का टारगेट हो सकता है. क्योंकि रूस के सैनिक अब कमजोर और घायलों पर भी हमला करने लगे हैं.
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