logo-image

रूस की कोरोना वैक्सीन दुनिया के कई, विशेषज्ञों ने उठाए ये बड़े सवाल

अब रूस ने ऐलान किया है कि वह बुधवार को कोरोना के खिलाफ बनी वैक्‍सीन को आधिकारिक तौर पर लांच करेगा. वहीं दुनिया के कई देशों के जानकारों ने रूस की कोरोना वैक्सीन को लेकर कई तरह के सवाल भी उठाए हैं.

Updated on: 11 Aug 2020, 06:15 PM

नई दिल्‍ली:

जब पूरी दुनिया देखते ही देखते चीन से निकले खतरनाक कोरोना वायरस (Corona Virus) की गिरफ्त में आ चुकी थी तभी रूस ने कोरोना वैक्सीन का आविष्कार कर पूरी दुनिया में छा रहे अंधकार में रोशनी की एक किरण दिखाई. मंगलवार को रूस ने कोरोना वायरस के सभी मानकों को पूरा करते हुए कोरोना वैक्सीन का आधिकारिक ऐलान कर दिया है. रूस की राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की दोनों बेटियों को भी ये टीका लगवाया और उन्हें किसी भी तरह का कोई साइड इफेक्ट भी नहीं हुआ है. अब रूस ने ऐलान किया है कि वह बुधवार को कोरोना के खिलाफ बनी वैक्‍सीन को आधिकारिक तौर पर लांच करेगा. वहीं दुनिया के कई देशों के जानकारों ने रूस की कोरोना वैक्सीन को लेकर कई तरह के सवाल भी उठाए हैं. इन विशेषज्ञों का मानना है कि कैसे रूस इतने कम समय में कोरोना की वैक्‍सीन को तैयार कर पाया है.

आपको बता दें कि मौजूदा समय रूस में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या लगभग 8 लाख के आस-पास है. इस लिहाज से रूस कोरोना वायरस से संक्रमित देशों की सूची में अमेरिका, ब्राजील और भारत के बाद चौथे नंबर पर है. रूस में गमाल्‍या इंस्टिट्यूट के अलावा वेक्‍टर स्‍टेट रिसर्च सेंटर ऑफ वायरोलॉजी ऐंड बायोटेक्‍नॉलजी इसकी वैक्‍सीन पर काम कर रहे हैं. कोरोना की ये रसियन वैक्सीन गमाल्‍या की बनी है जो रजिस्‍ट्रेशन के 3 से 7 दिन के भीतर ही नागरिकों पर इस्‍तेमाल के लिए उपलब्‍ध हो सकेगी, इन सब के बावजूद दुनिया के विशेषज्ञों को इस वैक्सीन पर संदेह हो रहा है और वो वैक्सीन को शक की निगाहों से देखते हुए इन 5 बातों का दावा कर रहे हैं-

विषेशज्ञों ने टेस्टिंग पर उठाए सवाल कहा- वास्‍तव में टेस्टिंग हुई या नहीं!
जब पूरी दुनिया कोरोना वायरस के लिए वैक्सीन बनाने की रेस में थी तो दावा किया जा रहा था कि कोरोना की सफल वैक्सीन आने में एक साल से लेकर दशकों तक का समय लग सकता है लेकिन रूस ने 11 अगस्त को ही यह कारनामा कर दिखाया जिससे कि संदेह उत्पन्न होता है. अमेरिका के नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ एलर्जी ऐंड इन्‍फेक्शियस डिजेज के डायरेक्‍टर डॉ. एंथनी फॉसी ने भी रूस के दावे पर संदेज जताया है उन्होंने कहा कि 'मैं उम्‍मीद करता हूं कि चीन और रूस के वैज्ञानिक किसी को वैक्‍सीन लगाने से पहले वास्‍तव में उसकी टेस्टिंग करेंगे.' 

यह भी पढ़ें-रूस की कोरोना वैक्सीन पर कई देशों को शक, विशेषज्ञों ने उठाए 5 सवाल

इस वैक्सीन की लांचिंग में फेस 2 और 3 के डेटा सार्वजनिक नहीं 
रूस द्वारा ईजाद की गई कोरोना वैक्सीन को लेकर एक दावा ये भी किया गया है कि इस वैक्‍सीन के क्लिनिकल ट्रायल पूरे होने का दावा करने वाले इंस्टिट्यूट ने अब तक दूसरे और तीसरे फेज के ट्रायल के आंकड़े सार्वजनिक नहीं किए हैं. आपको बता दें कि ये दोनों फेज यह तय करने में अहम भूमिका निभाते हैं. इन चरणों में इस बात का पता चलता है कि ईजाद की जाने वाले वैक्‍सीन कितनी कारगर और सुरक्षित है. डब्‍लूएचओ ने भी कहा है कि उसके पास रूस की वैक्‍सीन के केवल फेज वन के आंकड़े हैं. डब्‍लूएचओ ने रूस से आग्रह किया है कि वह सभी मानकों का पालन करे.

यह भी पढ़ें-कोरोना पर काबू पाने के लिए 72 घंटों के भीतर टेस्ट होना जरूरी,बैठक में बोले पीएम मोदी

अभी एक महीने से ज्यादा नहीं हुआ फेज वन का ट्रायल हुए
ट्रायलसाइट नाम की एक न्‍यूज वेबसाइट ने इस बात का दावा किया है कि अभी फेज वन का काम खत्म हुए एक महीना भी नहीं हुआ था कि वैक्सीन लांच भी कर दी गई. यह बात कुछ हजम नहीं हो पा रही है कि फेज वन खत्म हुए अभी एक महीना भी नहीं बीता था. अगर इतनी तेजी से काम हो रहा था तो इस हिसाब से ट्रायल दो फेज में ही होने चाहिए थे. इसलिए यह भी संभव है कि रूस इस वैक्सीन को तीसरे क्लीनिकल ट्रायल के बिना ही उतारने की तैयारी में हो. अभी भी दुनिया की कई कंपनियां तीसरे फेज में कम से कम 30 हजार वॉलंटियर पर ट्रायल कर रही हैं. उन्‍हें पूरा होने में वर्षों नहीं तो कम से कम कुछ महीनों का तो वक्‍त चाहिए.