अफगानिस्तान में क्या भारत की पकड़ हो रही ढीली, अमेरिका की नजदीकी कारण तो नहीं?

रूस वहां पैदा हुए खालीपन को भरने में सक्रिय हो गया है. रूस ने अफगानिस्तान में तेजी से बदल रहे हालात पर एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई है. लेकिन इस बैठक में रूस ने भारत को नहीं बुलाया है.

रूस वहां पैदा हुए खालीपन को भरने में सक्रिय हो गया है. रूस ने अफगानिस्तान में तेजी से बदल रहे हालात पर एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई है. लेकिन इस बैठक में रूस ने भारत को नहीं बुलाया है.

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nitu pandey
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पीएम मोदी ( Photo Credit : फाइल फोटो)

भारत आज संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में अफगानिस्तान में बदतर होती सुरक्षा स्थिति पर चर्चा करेगी. लेकिन अगर कूटनीतिक तौर पर हालात देखें तो वे इस बात की तरफ इशारा कर रहें है कि अफगानिस्तान पर भारत की पकड़ ढीली पड़ती जा रही है. ऐसा इसलिए कहा जा रहा है कि एक ओर अमेरिका अपनी सेना हटाकर अफगानिस्तान में दखल कम कर रहा है. वहीं रूस वहां पैदा हुए खालीपन को भरने में सक्रिय हो गया है. रूस ने अफगानिस्तान में तेजी से बदल रहे हालात पर एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई है. लेकिन इस बैठक में रूस ने भारत को नहीं बुलाया है. जबकि रूस ने चीन और पाकिस्तान को बैठक के लिए बुलाया है. भारत को इस बैठक में नहीं बुलाने से कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं. माना जा रहा है कि रूस और अमेरिका के बीच तनाव का माहौल है. भारत की करीबी अमेरिका की तरफ है. सवाल यह है कि क्या इस वजह से भारत के सामने ऐसे हालात पैदा हुए हैं. 

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बता दें कि अफगानिस्तान में तालिबान के साथ जारी खूनी संघर्ष के बीच शांति कायम करने की कोशिश में भारत, चीन और रूस समेत कई देश एक्टिव हैं. अफगानिस्तान में तालिबान के हमले बढ़ने पर रूस ने हिंसा रोकने और अफगान में शांति प्रक्रिया को बढ़ावा देने के लिए युद्ग्रस्त देश में सभी प्रमुख पक्षकारों तक पहुंचने की प्रक्रिया तेज कर दिया है. 

रूस की तरफ से बुलाई गई 'विस्तारिक ट्रोइका बैठक' 11 अगस्त को कतर में होनी है. इसके तहत पहले 18 मार्च और 30 अप्रैल को वार्ता हुई थी. रूस, अफगानिस्तान में शांति लाने और राष्ट्रीय सुलह की प्रक्रिया की शर्तें तय करने पर वार्ता के लिए 'मॉस्को फॉर्मेट' भी करा रहा है. ट्राइको बैठक में भारत को नहीं बुलाए जाने के कई मतलब निकाले जा रहे हैं. बीते कुछ वक्त से अमेरिका और रूस में तनातनी देखने को मिल रही है. वहीं भारत की अमेरिका से नजदीकियां बढ़ी है. ऐसे में सवाल है कि क्या इस वजह से भारत को नुकसान हो रहा है. 

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सवाल यह भी है कि क्या अफगानिस्तान में भारत की पकड़ कमजोर हो रही है. रूस और चीन अफगानिस्तान मामले में लगातार एक्टिव हैं. जानकारी की मानें तो बीते दिनों चीन ने तालिबानी नेता से मुलाकात भी की है. कहा जाता है कि बीते दिनों रूस ने ट्रोइका के तहत ही एक बैठक की थी, जिसमें पाकिस्तान और चीन के साथ तालिबानी प्रतिनिधि भी शामिल हुए थे.

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो रूस उन लोगों को बैठक में बुला रहा है जिनका प्रभाव अफगानिस्तान और तालिबान दोनों पर है. रूस का मानना है कि भारत का तालिबान पर कोई प्रभाव नहीं है. ऐसे में वार्ता में कोई बड़ी भूमिका नहीं निभा सकता है. वहीं भारत अपने कदम पर चल रहा है. भारत ने हमेशासे तालिबानियों की खिलाफ की है, मगर बीते दिनों से इसकी नीति में बदलाव देखने को मिला है. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो   भारत ने तालिबान से भी बातचीत करने की कोशिश की थी, ताकि अफगानिस्तान में जारी हालात में भारत अपनी भूमिका के दायरे को बढ़ा सके.

रूस, चीन और पाकिस्तान तालिबान से भी अपने रिश्ते को बेहतर रखना चाहते हैं, ताकि अगर अफगानिस्तान में सत्ता परिवर्तन होता है तो उसका फायदा उठा सके. लेकिन अगर ऐसा होता है तो भारत को झटका लगेगा. क्योंकि भारत तालिबानियों के साथ कोई संबंध नहीं रखा. भारत का अफगानिस्तान में निवेश भी बहुत है. भारत  अपनी तरफ से अफगानिस्तान में अपनी पकड़ मजबूत बनाने की पूरी कोशिश में है. इसी के तहत आज वो UNSC में अफगानिस्तान के हालात पर चर्चा करने जा रहा है. 

Source : News Nation Bureau

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