स्वीडन और फिनलैंड के नाटो में आवेदन पर भड़का रूस

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने धमकी दी है कि नाटो का विस्तार, रूस को जवाब देने पर मजबूर कर सकता है.

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने धमकी दी है कि नाटो का विस्तार, रूस को जवाब देने पर मजबूर कर सकता है.

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Pradeep Singh
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व्लादिमिर पुतिन( Photo Credit : news nation)

स्वीडन और फिनलैंड के नाटो में शामिल होने के आवेदन करने पर रूस भड़क गया है. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने धमकी दी है कि नाटो का विस्तार, रूस को जवाब देने पर मजबूर कर सकता है. लेकिन फिनलैंड और स्वीडन की सदस्यता में जो अड़ंगा पैदा हो सकता है, वह गठबंधन के अंदर से ही आ सकता है. हालांकि नाटो के महासचिव जेन्स स्टोलटेन्बर्ग ने बार-बार जोर देकर कहा है कि वह दोनों देशों का खुली बाहों से स्वागत करते हैं. उधर तुर्की ने फिनलैंड और स्वीडन पर आतंकी समूहों के गढ़ के तौर पर काम करने का आरोप लगाते हुए कहा है कि हम इस विस्तार को मंजूरी नहीं देंगे.

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स्वीडन और फिनलैंड ने नाटो में शामिल होने के लिए सदस्यता आवेदन जमा कर दिया है. यह फैसला तुर्की के सैन्य गठबंधन को रोकने की धमकी देने के बावजूद लिया गया है. स्वीडन के प्रधानमंत्री मैगडालेना एंडरसन ने फिनलैंड के राष्ट्रपति साउली निनिस्तो के साथ एक संयुक्त प्रेस वार्ता में कहा, ‘मैं खुश हूं कि हमने एक जैसा रास्ता चुना है और हम इसे एक साथ मिलकर तय कर सकते हैं’. फिनलैंड रूस के साथ 1300 किमी की सीमा साझा करता है. वहीं स्वीडन भी रूस के युक्रेन पर किए गए हमले से परेशान है. रूस के आक्रमण के खिलाफ बचाव के तौर पर गठबंधन में शामिल होने से दशकों से चले आ रही सैन्य गुटनिरपेक्षता खत्म हो जाएगी.

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हालांकि वाशिंगटन में विदेश प्रवक्ता नेड प्राइस ने इस बात पर भरोसा जताया है कि अंकारा दोनों देशों के गठबंधन में प्रवेश में बाधा नहीं डालेगा. वहीं एंडरसन और निनिस्तो इस ऐतिहासिक बोली के लिए अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन से मिलने वाले हैं. यूरोपीय संघ के विदेश मामलों के प्रमुख जोसेप बोर्रेल ने कहा है कि ब्रुसेल्स में यूरोपीय संघ के रक्षा मंत्रियों की बैठक के बाद इस बोली को पूरा समर्थन देने का फैसला लिया गया है. उन्होंने कहा कि इससे नाटो के सदस्यों की संख्या में इजाफा होगा और इससे यूरोप की ताकत और सहयोग में बढ़ोतरी होगी. बता दें कि कोई भी सदस्यता की बोली तभी स्वीकार होती है, जब नाटो के सभी 30 सदस्य उस पर सहमति देते हैं.

करीब डेढ़ दिन चली एक लंबी बहस के बाद फिनलैंड के 200 में से 188 कानून निर्माताओं ने नाटो की सदस्यता के समर्थन में वोट किया, जबकि यह फिनलैड की 75 साल पुरानी सैन्य गुटनिरपेक्ष नीति के एकदम उलट है. बहस की शुरूआत करते हुए फिनलैंड के राष्ट्रपति सना मारिन ने संसद में कहा कि हमारी सुरक्षा का माहौल मौलिक रूप से बदल गया है. केवल रूस ही ऐसा देश है, जिससे यूरोप की सुरक्षा को खतरा है और जो खुले तौर पर लड़ने पर आमादा है.

स्वीडन-फिनलैंड करीब एक सदी तक रूस साम्राज्य का हिस्सा था. 1917 में इसे स्वतंत्रता मिली थी. फिर 1939 में सोवियत संघ ने इस पर आक्रमण किया था. जनता की राय के मुताबिक करीब तीन चौथाई फिनलैंडवासी गठबंधन के साथ जाना चाहते हैं. यह संख्या यूक्रेन से युद्ध छिड़ने के पहले की राय से तीन गुना ज्यादा है. स्वीडन का यह बदलाव काफी चौंकाने वाला है, क्योंकि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान वह पूरी तरह से तटस्थ रहा था और पिछले 200 सालों से सैन्य गठबंधन से बाहर है.

तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैय्यप एर्डोगेन ने हेल्सिंकी और स्टोकहोम पर कुर्दिस्तान वर्कर पार्टी के आतंकवादियों को पनाह देने का इल्जाम लगाया है. यह वह समूह है, जिसने दशकों से तुर्की के खिलाफ विद्रोह छेड़ रखा है. स्वीडन ने भी 2019 में अंकारा के पड़ोसी देश सीरिया पर किये जाने वाले सैन्य हमले को लेकर हथियारों की बिक्री निलंबित कर दी थी.

एर्डोगेन ने कहा है कि हम उन लोगों को हां नहीं कहेंगे जो नाटो में शामिल होने के लिए तुर्की पर प्रतिबंध लगाते हैं. आगे उन्होंने कहा कि किसी भी देश का आतंकवादी संगठनों को लेकर स्पष्ट रुख नहीं है. राजनयिक सूत्रों से एएफपी को मिली जानकारी के मुताबिक तुर्की ने स्वीडन और फिनलैंड की सदस्यता के पक्ष में नाटो की घोषणा को रोक दिया है. अब स्वीडन और फिनलैंड ने तुर्की के अधिकारियों से मिलने के लिए प्रतिनिधिं मंडल भेजा है.

वहीं एंडरसन ने कहा है कि स्वीडन नाटो में तुर्की के साथ मिलकर काम करके बेहद खुशी महसूस करेगा और उन्होंने जोर देते हुए कहा है कि स्टोकहोम सभी तरह के आतंकवाद के खिलाफ लड़ने के लिए समर्पित है.

Russian President Vladimir Putin Sweden and Finland Russian nationals Russia furious application to NATO
      
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