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Russia blames its soldiers mobile phone use for deadly missile strike( Photo Credit : File)
Russia blames its soldier's mobile phone use for deadly missile strike: रूस इस समय यूक्रेन में अपनी सबसे बड़ी जंग लड़ रहा है. इस जंग में वो शुरूआत से हावी रहा है. अब भी हावी है. यूक्रेन का दक्षिणी और पूर्वी क्षेत्र का काफी बड़ा हिस्सा उसके कब्जे में है. लेकिन पश्चिमी देशों से मिली मदद के बाद यूक्रेन जोरदार तरीके से न सिर्फ रूस को जवाब दे रहा है, बल्कि वो रूसी ठिकानों को निशाना बना रहा है. इसी कड़ी में रूस ने नए साल के जश्न के मौके पर यूक्रेन की राजधानी कीव समेत कई शहरों को निशाना बनाया, तो पलटकर यूक्रेन ने भी रूस को करारा जवाब दिया. यूक्रेन ने अमेरिकी हिमर्स मिसाइल सिस्टम से हमला कर एक साथ ही 89 रूसी सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया है. इस हमले से तिलमिलाए रूसी रक्षा मंत्रालय ने इसका ठीकरा अब सैनिकों के सिर ही फोड़ दिया है.
मोबाइल फोनों का इस्तेमाल बना खतरा!
जी हां, रूसी रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि इस हमले की वजह खुद रूसी सैनिक ही थे. क्योंकि वो जहां पर रुके थे, उस जगह पर एक साथ अवैध मोबाइल फोनों का इस्तेमाल कर रहे थे. जिन्हें यूक्रेन ने ट्रैक कर लिया और सैनिकों पर मिसाइल से हमला बोल दिया. इस हमले के लिए यूक्रेन ने 6 अमेरिकी हिमर्स मिसाइलों को लॉन्च किया, जिसमें से दो को तो रूस ने मार गिराया, लेकिन बाकी मिसाइलों ने रूसी ठिकाने पर सटीक हमला कर रूसी ठिकाने को तबाह कर दिया. रूस का कहना है कि एक साथ इतने सारे मोबाइलों के सिग्नल की वजह से यूक्रेन ने उनके ठिकाने को ढूंढ लिया.
रूस का दावा कितना सही?
आम तौर पर युद्ध के क्षेत्र में बातचीत के लिए सिक्योर्ड लाइन्स का इस्तेमाल किया जाता है. सेटेलाइट फोन इस्तेमाल किये जाते हैं. और वो भी बहुत सीमित मात्रा में. लेकिन यहां पर आम मोबाइल फोनों का इस्तेमाल हो रहा था. चूंकि डोनेस्क क्षेत्र पर रूसी सैन्य बलों का कब्जा है. ऐसे में उन्हें ये अंदाजा बिल्कुल भी नहीं था कि उनकी असावधानी की वजह से वो खुद यूक्रेन के सामने एक्सपोज हो जाएंगे. रूसी सैनिकों ने एक कॉलेज में अस्थाई बैरकें बनाई हैं. चूंकि वो जगह रेजिडेंसियल इलाके से बाहर थी और सैनिकों के रुकने के लिए मुफीद थी. तो यूक्रेनी बलों ने मोबाइल टॉवरों के दम पर लोकेशन का सही पता लगा लिया. यूं भी यूक्रेन के पास जासूसी करने के लिए बड़े पैमाने पर ड्रोन और अन्य तकनीकें हैं. लेकिन एक साथ इतने सारे फोन इस्तेमाल होंगे, तो जाहिर तौर पर वो इन्हें इंटरसेप्ट करेगा ही. फिर ये इलाका कुछ समय पहले यूक्रेन का ही था. उसके बलों को इलाके की चप्पे-चप्पे की जानकारी है. ऐसे में रूस का ये दावा सही भी हो सकता है. वैसे, रूस ने इसकी जांच के लिए कमेटी गठित कर दी है.
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दावों पर उठ रहे सवाल
रूसी रक्षा मंत्रालय की इस दलील पर सभी सहमत हों, ये जरूरी नहीं. ऐसे में एक महत्वपूर्ण वॉर कॉरेस्पोंडेंट सेम्योन पेगोव ( Semyon Pegov, Russian war correspondent ) ने रक्षा मंत्रालय के दावों पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि मोबाइल वाला बहाना बहुत भरोसेमंद नहीं है. हालांकि ऐसा हो सकता है. लेकिन जांच पूरी होने तक ऐसे दावों की कोई जगह वहीं. उन्होंने कहा कि ये बहानेबाजी ज्यादा लग रही है. पेगोव का कहना है कि यूक्रेन के पास मोबाइल फोनों से ज्यादा बेहतर तरीका है. वो टोही ड्रोन्स की मदद ले सकता है और लोकल इंटेलीजेंस की भी. ऐसे में जांच पूरी होने का इंतजार किया जाना चाहिए.
HIGHLIGHTS
- नए साल पर मिसाइल हमले में 89 रूसी सैनिक ढेर
- एक बार के हमले में यूक्रेन को मिली सबसे बड़ी सफलता
- अमेरिकी हिमर्स मिसाइल के जरिए रूसी सेना को बनाया निशाना