शीतयुद्ध के बाद पहली बार रूस ने शुरू किया सबसे बड़ा सैन्य अभ्यास, पश्चिमी देशों की बढ़ी चिंता
रूस के इस सैन्य अभ्यास को लेकर कई पश्चिमी देशों की निगाहें उस पर हैं। पोलैंड से लेकर बाल्टिक स्टेट्स जैसे कई देशों ने इसे लेकर चिंता जताई है।
highlights
- कोल्ड वॉर के बाद रूस का सबसे बड़ा सैन्य अभ्यास, काल्पनिक देश के खिलाफ लड़ेंगे युद्ध
- यूरोपीय देशों का आरोप, बेलारूस में सेना तैनात करना चाहता है रूस
- यूरोप में स्वीडन ने भी शुरू किया सैन्य अभ्यास, कई यूरोपीय देश हैं इसका हिस्सा
नई दिल्ली:
रूस और उसके पड़ोसी देश बेलारूस ने अपने सबसे बड़े युद्धाभ्यास की शुरुआत गुरुवार को कर दी। इस सैन्य अभ्यास को 'जैपड' नाम दिया गया है जिसका रूसी में मतलब पश्चिम (वेस्ट) होता है।
इसके तहत दोनों देश अगले एक हफ्ते तक किसी काल्पनिक देश के खिलाफ लड़ाई की तरह इसे अंजाम देंगे।
रूस के इस सैन्य अभ्यास को लेकर कई पश्चिमी देशों की निगाहें उस पर हैं। पोलैंड से लेकर बाल्टिक स्टेट्स जैसे कई देशों ने इसे लेकर चिंता जताई है।
दरअसल, पश्चिमी देशों को डर है कि रूस इस अभ्यास के बहाने बेलारूस में NATO के सदस्य देशों की सीमाओं पर स्थायी तौर पर अपनी सेना तैनात करने की योजना बना रहा है हालांकि, बेलारूस कह चुका है कि 30 सितंबर तक रूस के सभी सैनिक बेलारूस छोड़ देंगे। युद्धाभ्यास 20 सितंबर तक चलना है।
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रूस के आधिकारिक रिपोर्ट्स के मुताबिक इस सैन्य अभ्यास में 12,700 सैन्य टुकड़ियां, 138 टैंक सहित 680 मिलिट्री साजो-समान शामिल हो रहे हैं। पश्चिमी जानकार और मीडिया के अनुसार संख्या इससे कहीं ज्यादा बड़ी है।
क्या है जैपड-2017
रूस और बेलारूस की सेनाएं वेश्नोरिया नाम के एक काल्पनिक दुश्मन देश के खिलाफ अगले 6 दिनों तक अपनी ताकत का इजहार करेंगे। इस संयुक्त युद्धाभ्यास को करीब ढाई दशक पहले शीत युद्ध के खात्मे के बाद रूस के सबसे बड़े सैन्यशक्ति प्रदर्शन के तौर पर देखा जा रहा है।
यह इसी साल की शुरुआत में नाटो के उस सैन्याभ्यास के जवाब के तौर पर भी देखा जा रहा है जिसमें पोलैंड, एस्टोनिया, लातविया और लिथुआनिया की सेना को बेलारूस और रूस की सीमा पर रख कर युद्धाभ्यास किया गया था।
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दूसरी ओर स्वीडन ने भी 'ऑरोरा-17' नाम के युद्धाभ्यास की शुरुआत कर दी है। यह उसका पिछले 20 साल में सबसे बड़ा युद्धाभ्यास है।
स्वीडन हालांकि नाटो का सदस्य नहीं है लेकिन उसके युद्धाभ्यास में फ्रांस, अमेरिका और कुछ दूसरे पश्चिमी देशों की टुकड़ियां हिस्सा ले रही हैं। यह अभ्यास 20 सिंतबर तक चलेगा।
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