यूक्रेन की स्वतंत्र समाचार एजेंसी (यूएनआईएएन) के लिए काम करने वाले पत्रकार दिमित्रो खिल्युक को रूसी सेना ने 4 मार्च को कीव क्षेत्र के एक गांव से अगवा कर लिया था।
मीडिया इनिशिएटिव फॉर ह्यूमन राइट्स ने सोमवार को अपनी वेबसाइट पर पोस्ट किए गए एक बयान में कहा कि उनके लापता होने की पूर्व संध्या पर, दिमित्रो ने फेसबुक पर लिखा था कि उनका विशोरोड जिले के कोजारोविची गांव कब्जे में था और वहां पानी नहीं था। दुकानें खाली थीं और इंटरनेट कनेक्शन बहुत कमजोर था।
उन्होंने अपनी पोस्ट में दावा किया कि रूसी सैनिक घर-घर जा रहे हैं, और लोग अपने घरों के अंदर ही रहे , क्योंकि गांव में समय-समय पर गोलीबारी होती रहती है।
मीडिया प्रहरी के अनुसार, खिल्युक के लापता होने की सूचना सबसे पहले उसके दोस्तों ने मीडिया में दी, जो उससे संपर्क करने में असमर्थ थे।
बयान में कहा गया है कि उसके दोस्तों को पड़ोसियों से पता चला कि खिल्युक को रूसी सैन्य वर्दी में लोगों ने हिरासत में लिया था।
पहले तो यह पता नहीं चला कि उसे कहां ले जाया गया था, लेकिन बाद में पता चला कि पत्रकार को कीव क्षेत्र के एक अन्य गांव डायमर की एक इमारत के अंदर रखा जा रहा था।
मीडिया इनिशिएटिव ने कहा कि स्थानीय निवासियों ने कहा है कि खिल्युक का अपहरण इस संदेह में किया गया होगा कि वह यूक्रेन की सेना और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के संपर्क में था।
यूक्रेन के अधिकारियों के अनुसार, 24 फरवरी को युद्ध शुरू होने के बाद से यूक्रेन में कम से कम 12 स्थानीय और विदेशी पत्रकार मारे गए हैं और 10 अन्य घायल हो गए हैं।
पीड़ितों में अमेरिकी पत्रकार और फिल्म निर्माता ब्रेंट रेनॉड और खोजी वेबसाइट द इनसाइडर के लिए रिपोर्टिग करने वाली रूसी पत्रकार ओक्साना बाउलिना शामिल हैं।
स्थानीय पत्रकार विक्टोरिया रोशचिना और ओलेह बटुरिन को भी रूसी सेना ने अपहरण कर लिया था, लेकिन उन्हें रिहा कर दिया गया ।
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Source : IANS