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पुतिन का प्रयास लाया रंग, पीएम मोदी और चीनी राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग की हो सकती है बैठक  

रूस भारत और चीन के बीच विवाद और तनाव को कम करने की कोशिश कर रहा है.

Updated on: 16 Dec 2021, 11:37 PM

highlights

  • रूस भारत और चीन के बीच विवाद को कम करने की कोशिश कर रहा है
  • उत्तरी सीमा पर 'पूरी तरह से अकारण आक्रामकता' से चुनौतियां पैदा हुई
  • रूस, चीन और भारत के बीच शिखर बैठक निकट भविष्‍य में हो सकती है

 

नई दिल्ली:

भारत-चीन सीमा पर लंबे समय से तनाव है. लाख कोशिशों के बाद भी चीन भारत के भू-भाग को अपना बताने और अतिक्रमण करने से परहेज नहीं कर रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मुलाकात के बाद दुनिया भर में भारत की कूटनीति की चर्चा हुई. तब चीन के तेवर भी थोड़ा नरम पड़ा है. अब रूसी राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन के प्रयासों से पीएम मोदी और शी जिनपिंग के बीच बैठक हो सकती है. रूसी राष्‍ट्रपति के सहायक यूरी उशाकोव ने बताया कि रूस, चीन और भारत के बीच शिखर बैठक निकट भविष्‍य में हो सकती है. पुतिन ने अपनी भारत यात्रा के बारे में भी जिनपिंग को बताया है.

रूसी राष्‍ट्रपति कार्यालय के प्रवक्‍ता उशाकोव ने कहा, 'रूस-भारत-चीन (RIC) फार्मेट में सहयोग के विषय पर चर्चा हुई है.' उनका यह बयान ऐसे समय पर आया है जब शी जिनपिंग और पुतिन के बीच 1 घंटे से ज्‍यादा समय तक बातचीत हुई है. पुतिन और शी दोनों ही इस संबंध में विचारों के आदान-प्रदान को आगे भी जारी रखने पर सहमत हुए हैं और निकट भविष्‍य में RIC फार्मेट में शिखर बैठक के लिए प्रयास हो सकते हैं.'

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उशाकोव ने कहा, 'पुतिन ने शी जिनपिंग को अपनी नई दिल्‍ली यात्रा के बारे में बताया है.' तीनों देशों के शीर्ष नेताओं के बीच RIC की अंतिम बैठक जून 2019 में हुई थी. यह जी-20 शिखर सम्‍मेलन के दौरान ओसाका में हुई थी. शंघाई सहयोग संगठन के ढांचे के तहत सहयोग करने पर विस्‍तृत चर्चा हुई है. बता दें कि लद्दाख में चीनी घुसपैठ और गलवान हिंसा के बाद भारत और चीन के बीच संबंध रसातल में चले गए हैं.

रूस भारत और चीन के बीच विवाद और तनाव को कम करने की कोशिश कर रहा है. भारत ने पुतिन की यात्रा के दौरान रूस के साथ '2+2' वार्ता में लद्दाख में चीन की आक्रामकता का मुद्दा उठाया था. उसने अपने पड़ोस में 'असाधारण सैन्यीकरण' का जिक्र किया है. भारत ने साफ कहा है कि उत्तरी सीमा पर 'पूरी तरह से अकारण आक्रामकता' से चुनौतियां पैदा हुई हैं. इनका वह सामना कर रहा है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के अलावा 'दो जमा दो' विदेश और रक्षा वार्ता में विदेश मंत्री एस जयशंकर, उनके रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव और रूसी रक्षा मंत्री जनरल सर्गेई शोयगू ने भाग लिया था.