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पाकिस्तान के पेशावर की मस्जिद में आतंकी हमला, नौ की मौत 90 घायल

देश के पूर्व कबायली क्षेत्रों में पाकिस्तानी सैन्य उपस्थिति में कमी आने से भी टीटीपी को अपनी आतंकी वारदातों को अंजाम देने में मदद मिल रही है.

Updated on: 30 Jan 2023, 03:33 PM

highlights

  • हमलावर नमाज के दौरान अग्रिम पंक्ति में मौजूद था, तभी उसने खुद को उड़ा लिया
  • इमारत का एक हिस्सा ढह गया है और इसके नीचे कई लोगों के दबे होने की आशंका
  • आत्मघाती आतंकी हमले के बाद इलाके में आपात स्थिति लागू कर दी गई है

पेशावर:

पाकिस्तान के अशांत खैबर पख्तूनख्वा प्रांत की राजधानी पेशावर की एक मस्जिद में सोमवार को एक आत्मघाती हमलावर ने खुद को उड़ा लिया. इस आत्मघाती हमले में कम से कम नौ लोगों की मौत हो गई और 90 अन्य घायल हो गए. डॉन अखबार के मुताबिक आत्मघाती विस्फोट पुलिस लाइन इलाके के पास दोपहर करीब 1.40 बजे हुआ जब ज़ुहर की नमाज अदा की जा रही थी.
सुरक्षा अधिकारियों के मुताबिक, आत्मघाती हमलावर नमाज के दौरान अग्रिम पंक्ति में मौजूद था, तभी उसने खुद को उड़ा लिया. इस धमाके से नमाज अदा कर रहे दर्जनों लोग घायल हो गए. पुलिस अधिकारी सिकंदर खान ने कहा, 'इमारत का एक हिस्सा ढह गया है और इसके नीचे कई लोगों के दबे होने की आशंका है.'

घायलों में कई गंभीर, बढ़ सकती है मृतक संख्या
अधिकारियों ने बताया कि घायलों को पेशावर के लेडी रीडिंग अस्पताल में भर्ती कराया गया है. अस्पताल सूत्रों ने बताया कि घायलों में से 13 की हालत गंभीर है. ऐसे में मृतकों का आंकड़ा बढ़ने की आशंका है. आत्मघाती आतंकी हमले के बाद इलाके में आपात स्थिति लागू कर दी गई है और घेराबंदी कर तलाशी अभियान शुरू कर दिया गया है. इस तरह के आत्मघाती हमलों में संदेह अक्सर पाकिस्तानी तालिबान पर किया जाता है, जिसने पहले भी इसी तरह के आत्मघाती बम विस्फोटों की जिम्मेदारी ली है. हालांक इस आत्मघाती हमले की अभी तक किसी ने जिम्मेदारी नहीं ली है.

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टीटीपी पाकिस्तान सरकार के खिलाफ दे रहा आतंकी हमलों को अंजाम
पाकिस्तानी तालिबान को तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान या टीटीपी के रूप में जाना जाता है. यह अफगानिस्तान पर काबिज तालिबान से अलग आतंकी समूह है, लेकिन अफगान तालिबान का करीबी सहयोगी भी है. गौरतलब है कि बीते साल लगभग दो दशकों बाद अगस्त में इस्लामिक कट्टरंथी आतंकी संगठन तालिबान ने अफगानिस्तान में सत्ता पर कब्जा कर लिया था. अमेरिका और नाटो सैनिकों की वापसी से तालिबान की वापसी कहीं आसान हो गई थी. इधर टीटीपी ने पिछले 15 वर्षों में पाकिस्तान में विद्रोह छेड़ रखा है. देश में इस्लामी कानूनों को सख्ती से लागू करने के लिए लड़ रहा है. टीटीपी की मांग अपने सदस्यों की रिहाई भी है जो सरकारी हिरासत में हैं. देश के पूर्व कबायली क्षेत्रों में पाकिस्तानी सैन्य उपस्थिति में कमी आने से भी टीटीपी को अपनी आतंकी वारदातों को अंजाम देने में मदद मिल रही है.