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'परवेज मुशर्रफ को डी चौक पर फांसी देकर तीन दिनों तक लटकाए रखा जाए शव'

पीठ के न्‍यायमूति शाहिद करीम ने मुशर्रफ के खिलाफ कठोर फैसला सुनाया है. उन्‍होंने कहा कि मुशर्रफ को डी चौक पर खींचकर खुलेआम फांसी दी जानी चाहिए. इतना ही पूर्व तानाशाह के मृत शरीर को तीन दिनों तक फांसी पर ही टंगा रहना चाहिए.

Updated on: 19 Dec 2019, 06:29 PM

highlights

  • न्‍यायमूति शाहिद करीम ने मुशर्रफ के खिलाफ कठोर फैसला सुनाया है.
  • करीम का मुशर्रफ की मौत की सजा को और कठोर बनाने पर जोर.
  • पूर्व तानाशाह के मृत शरीर को तीन दिनों तक फांसी पर ही टंगा रहना चाहिए.

New Delhi:

पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ को राजद्रोह के मामले में मौत की सजा सुनाने वाली तीन सदस्‍यीय पीठ ने गुरुवार को अपना विस्तृत फैसला जारी कर दिया. पीठ के न्‍यायमूति शाहिद करीम ने मुशर्रफ के खिलाफ कठोर फैसला सुनाया है. उन्‍होंने कहा कि मुशर्रफ को डी चौक पर खींचकर खुलेआम फांसी दी जानी चाहिए. इतना ही पूर्व तानाशाह के मृत शरीर को तीन दिनों तक फांसी पर ही टंगा रहना चाहिए. करीम ने मुशर्रफ की मौत की सजा को और भी कठोर किए जाने पर जोर दिया था. मुशर्रफ को सजा सुनाने वाली पीठ की अध्यक्षता पेशावर हाई कोर्ट के मुख्‍य न्‍यायाधीश वकार अहमद सेठ ने की थी.

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2-1 से अदालत ने दी फांसी की सजा
बता दें कि इस पीठ में सिंध हाई कोर्ट के न्‍यायमूर्ति शाहिद करीम और न्‍यायमूर्ति नाज अकबर शामिल थे. यह फैसला 2-1 से दिया गया था. न्‍यायमूर्ति अकबर सजा के खिलाफ थे, ज‍बकि न्‍यायधीश सेठ और करीम सजा के पक्ष में थे. न्‍यायमूर्ति करीम में सख्‍त सजा के पक्ष में था. 167 पन्‍नों के फैसलों में न्‍यायमूर्ति सेठ ने लिखा है कि सबूतों ने साबित कर दिया है कि मुशर्रफ ने अपराध किया है. उन्होंने न सिर्फ देश को आपातकाल में झोंका, बल्कि सर्वोच्च न्यायालय को भी जजों को हिरासत में लेकर बंधक बनाया.

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अदालत ने की सख्त टिप्पणी
न्‍यायमूर्ति करीम ने कहा कि अभियुक्‍त के रूप में उनका आचरण बेहद निंदनीय रहा है. राजद्रोह का मुकदमा शुरू होते ही वह इसमें बाधा उत्‍पन्‍न कर रहे थे. उन्‍होंने मुकदमे को विलंब कराया और सबूतों के मिटाने में प्रयास किया. करीम ने कहा कि अगर एक पल को यह मान भी लिया जाए कि वह इस अभियान का हिस्‍सा नहीं थे तो भी वह संविधान की रक्षा करने में विफल रहे. गौरतलब है कि परवेज मुशर्रफ विदेश भागने के बाद से पाकिस्तान लौट कर नहीं आए हैं. यही नहीं, उन्होंने समय-समय पर बयान बदल मामले को कुछ और रंग देने की कोशिशें भी कम नहीं कीं.