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ईशनिंदा के आरोप में पाकिस्तानी शिक्षक काट रहे सख्‍त सजा, अमेरिका ने ग्‍लोबल पीड़ित बताया

पाकिस्तान (Pakistan) में ईशनिंदा के आरोप में कई सालों से सख्त कैद की सजा काट रहे शिक्षक जुनैद हफीज का नाम अमेरिका (America) के धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (USCIRF) ने अपने वैश्विक पीड़ितों के डेटाबेस में शामिल किया है.

Updated on: 02 Dec 2019, 07:30 AM

वाशिंगटन:

पाकिस्तान (Pakistan) में ईशनिंदा के आरोप में कई सालों से सख्त कैद की सजा काट रहे शिक्षक जुनैद हफीज का नाम अमेरिका (America) के धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (USCIRF) ने अपने वैश्विक पीड़ितों के डेटाबेस में शामिल किया है. इस कदम से आयोग ने यह स्पष्ट किया है कि जुनैद (Junaid) किस भयावह संकट में हैं और जेल में उनकी जान को किस हद तक खतरा है. यह आयोग पूरी दुनिया में धार्मिक स्वतंत्रता (Religious Liberty) के उल्लंघन के मामलों की समीक्षा करता है और राष्ट्रपति, विदेश मंत्री तथा अमेरिकी संसद (Congress) के लिए नीतिगत सुझाव देता है. यह दुनिया भर के उन लोगों की एक सूची भी बनाता है, जिनका धार्मिक आधार पर उत्पीड़न हुआ हो या हो रहा हो.

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अपनी अपडेट की गई लिस्ट में USCIRF ने पाकिस्तान के शहर मुल्तान (Multan) के शिक्षक जुनैद हफीज (Junaid Hafeez) का नाम शामिल किया है. जुनैद का केस बीते छह सालों से चल रहा है और USCIRF का कहना है कि वह जेल में तन्हाई में रखे गए हैं.

USCIRF ने कहा है कि जुनैद के इतने लंबे मामले में अब 8वें जज की नियुक्ति हो चुकी है और अभियोजन कथित ईशनिंदा का एक भी सबूत नहीं पेश कर सका है. इस दौरान जुनैद भयावह मानसिक व शारीरिक पीड़ा से गुजर रहे हैं. उन्हें, उनके परिवार व वकीलों को जान से मारने की धमकियां दी जा रही हैं. साल 2014 में उनके वकील की हत्या कर दी गई थी.

आयोग ने इससे पहले जारी अपनी एक नीतिगत रिपोर्ट में ईशनिंदा के आरोप में मौत की सजा पाने वाली ईसाई महिला को रिहा करने पर पाकिस्तान की तारीफ करते हुए कहा था कि आज भी पाकिस्तान में करीब 80 ऐसे लोग हैं जो ईशनिंदा के आरोप में जेल में हैं. पाकिस्तान दुनिया के मात्र ऐसे तीन देशों में शामिल है जहां इस तरह के आरोप के साबित होने पर मौत की सजा का प्रावधान है, हालांकि इस कानून के तहत वहां की सरकार ने अभी तक किसी को मृत्युदंड नहीं दिया है.

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रिपोर्ट में कहा गया है कि कथित ईशनिंदा के नाम पर जुल्म का शिकार लोगों की सुरक्षा के लिए पाकिस्तानी अधिकारियों ने बहुत कम प्रयास किए हैं.