चीन और पाकिस्तान के बीच व्यापार के लिए बने ची-पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) को लेकर पाकिस्तान ने चिंता जताई है। पाकिस्तान को इस बात की चिंता सता रही है कि चीन कहीं इस कॉरिडोर का इस्तेमाल भारत के साथ व्यापार बढ़ाने के लिए न शुरू कर दे। पाकिस्तान के कई सांसदों ने सरकार को इस आशंका से अवगत कराया है।
पाकिस्तान ने चीन की मदद से 46 अरब डॉलर की लागत से इस कॉरिडोर का निर्माण किया है। 2442 किलोमीटर लंबा यह कॉरिडोर चीन को अरब सागर से जोड़ता है। पाकिस्तान की इकनॉमी के लिए यह कॉरिडोर बेहद अहम है।
पाकिस्तानी अखबार द डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, प्लानिंग और डिवेलपमेंट पर सीनेट की स्थायी समिति की एक बैठक के दौरान सांसदों ने यह चिंता जाहिर की। इन सांसदों ने कहा कि चीन संभवत: इस इकनॉमिक कॉरिडोर योजना में इसलिए निवेश कर रहा है ताकि वह भारत सहित मध्य एशिया और यूरोप के दूसरे देशों के साथ व्यापार संबंधी संभावनाएं तलाश सके।
समिति के चैयरमैन सैयद ताहिर हुसैन ने भी इस बारे में एक सांसद की राय का समर्थन किया। उनका कहना था कि सीपीईसी के तहत मुनाबो और अमृतसर के रास्ते भारत के साथ रेल और रोड लिंक में सुधार होने के बाद चीन अपने व्यापार का विस्तार ना सिर्फ सेंट्रल एशियाई और यूरोपीय देशों बल्कि भारत तक करेगा।इस रणनीति की मदद से चीन अपने आठ कम विकसित प्रांतों की स्थिति में सुधार लाने की कोशिश करेगा।
सैयद ताहिर ने कहा कि चीन का पाकिस्तान के मुकाबले भारत के साथ व्यापार काफी बड़ा है और पिछले साल उसने भारत के साथ 100 अरब डॉलर का एक ट्रेड अग्रीमेंट भी साइन किया है। ताहिर ने कहा, 'भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण रिश्ते होने के बावजूद चीन सीपीईसी के जरिए भारत के साथ व्यापार करेगा।'
HIGHLIGHTS
- पाकिस्तान को इस बात की आशंका सता रही है कि कहीं चीन CPEC के जरिये भारत के साथ न व्यापार करने लगे
- पाकिस्तान के बलोचिस्तान प्रांत में चीन की मदद से 46 अरब डॉलर की लागत से इस परियोजना को पूरा किया गया है
Source : News Nation Bureau