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पाकिस्तान की जेलों में नर्क की जिंदगी बिताते हैं कैदी, जानें क्या है वजह

पाकिस्तान (Pakistan) की जेलों में कुल क्षमता से अधिक कैदी बंद है. पाक के संघीय लोकपाल सचिवालय ने देश की शीर्ष अदालत को यह जानकारी दी है.

Updated on: 19 Jan 2020, 08:55 PM

highlights

  • पाकिस्तान (Pakistan) की जेलों में कुल क्षमता से अधिक कैदी बंद है.
  • पाक के संघीय लोकपाल सचिवालय ने देश की शीर्ष अदालत को यह जानकारी दी है.
  • सिंध कारागार विभाग के हवाले से बताया गया कि प्रोबेशन (परिवीक्षा) न्यायालय के अधिकार क्षेत्र में हैं और पैरोल गृह विभाग के अंतर्गत आता है.

इस्लामाबाद:

पाकिस्तान (Pakistan) की जेलों में कुल क्षमता से अधिक कैदी बंद है. पाक के संघीय लोकपाल सचिवालय ने देश की शीर्ष अदालत को यह जानकारी दी है. द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की खबर के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट को यहां के संघीय लोकपाल सचिवालय ने बताया कि देश की 113 जेलों में 46,304 विचाराधीन कैदी/अंडर ट्रायल कैदी (यूटीपी) वर्तमान में बंद हैं, जबकि जुर्म के लिए दोषी ठहराए गए कैदियों की कुल संख्या 25, 990 है.

पाकिस्तान में जेलों की स्थिति में सुधार करने को लेकर पेश की गई 5वीं त्रैमासिक 'कार्यान्वयन रिपोर्ट' में सचिवालय ने कहा कि जेलों की कुल क्षमता 60,022 है, लेकिन उनमें कैद लोगों की कुल संख्या 75,813 है, जो जरूरत से करीब 15,791 अधिक है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि पंजाब (पाकिस्तान वाला) जेल विभाग ने गुड कंडक्ट प्रिजनर्स प्रोबेशनल रिलीज एक्ट, 1926-1927 रूल्स के तहत कैदियों को पैरोल पर रिहा करने के लिए एक उचित तंत्र अपनाया है. अपनी रिपोर्ट में संघीय लोकपास सचिवालय ने कहा कि रिकॉर्ड के अनुसार, पिछले 10 वर्षो के दौरान 1,240 कैदियों को पैरोल पर रिहा किया गया है.

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वरिष्ठ कानूनी सलाहकार हाफिज अहसन अहमद खोखर के माध्यम से प्रस्तुत रिपोर्ट में कहा गया कि पंजाब प्रोबेशन एंड पैरोल सेवा स्थापित करने के लिए एक बिल (विधेयक) भी प्रांतीय कैबिनेट की मंजूरी के लिए पंजाब के मुख्यमंत्री के माध्यम से लाया गया है.

रिपोर्ट में सिंध कारागार विभाग के हवाले से बताया गया कि प्रोबेशन (परिवीक्षा) न्यायालय के अधिकार क्षेत्र में हैं और पैरोल गृह विभाग के अंतर्गत आता है.

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सिंध की बात करें तो वर्तमान समय में यहां कुछ 1,189 व्यक्ति प्रोबेशन पर हैं. उनमें से 1,126 पुरुष, 59 किशोर, तीन महिलाएं हैं. प्रांत में केवल एक कैदी पैरोल पर है. रिपोर्ट में कहा गया की सुप्रीम कोर्ट की गंभीर टिप्पणियों के कारण पैरोल की प्रक्रिया 2013 में रोक दी गई थी.