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अनुच्छेद 370 को लेकर बौखलाए पाकिस्तान ने की ये बड़ी चूक, SCO में अपने इवेंट में भारत को नहीं भेजा न्योता

रूस में शांघाई को-ऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (एससीओ) अभ्यास चल रहा है. पाकिस्तान ने अपने सांस्कृतिक दिवस कार्यक्रम में भारतीय दल को न्योता नहीं दिया.

Updated on: 20 Sep 2019, 06:29 AM

highlights

  • बार-बार मुंह की खाने के बाद भी पाकिस्तान की बौखलाहट नहीं हो रही कम
  • बौखलाहट में पाकिस्तान कर रहा कूटनीतिक गलतियां 
  • रूस में चल रहे एससीओ में अपने कार्यक्रम के दौरान भारतीय दल को नहीं दिया न्योता

नई दिल्ली:

जम्मू-कश्मीर (jammu and kashmir) से अनुच्छेद 370 (article 370) हटे हुए एक महीने से ज्यादा का वक्त हो गया है, लेकिन बौखलाए पाकिस्तान (Pakistan) अभी भी इसे लेकर गैर जरूरी प्रतिक्रियाएं दे रहा है. अंतरराष्ट्रीय मंच पर खुद को सही साबित करने के लिए वो एक के बाद एक कूटनीतिक गलतियां करते जा रहा है. ताजा मामला रूस में देखने को मिला.

रूस में शांघाई को-ऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (एससीओ) अभ्यास चल रहा है. पाकिस्तान ने अपने सांस्कृतिक दिवस कार्यक्रम में भारतीय दल को न्योता नहीं दिया. यह न सिर्फ कूटनीतिक नियमों बल्कि एससीओ (SCO) के नियमों का भी उल्लंघन है.

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भारतीय सेना की तरफ से जारी बयान के मुताबिक, 'रूस में चल रहे शंघाई को-ऑपरेशन ऑर्गनाइजेश (SCO) के अभ्यास में आज पाकिस्तान का सांस्कृतिक दिवस कार्यक्रम था. मौजूदा कूटनीतिक नियमों और एससीओ के नियमों का उल्लंघन करते हुए भारतीय दलों को उसमें आने का न्योता नहीं दिया गया.'

अनुच्छेद 370 को लेकर पाकिस्तान के अंदर गुस्से का आलम यह है कि पीएम इमरान खान अपने हर विदेश दौरे पर कश्मीर मुद्दा उठाने से नहीं चूकते हैं. लेकिन हर तरफ उनके हाथ सिर्फ नसीहत ही आती है. हाल ही में मुस्लिम देश ने भी पीएम इमरान खान (PM Imran Khan) को नसीहतों की पोटली दी.

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इसके बावजूद इमरान सरकार की आंखें नहीं खुल रही है. गुरुवार को इमरान खान ने कहा कि 'जब तक वे (नई दिल्ली सरकार) कश्मीर से कर्फ्यू नहीं हटा लेते और अनुच्छेद 370 दोबारा लागू नहीं कर देते, तब तक उनके (भारत) साथ बातचीत करने की कोई संभावना नहीं है.'

इस बीच संयुक्त राष्ट्र ने भी पाकिस्तान को करारा झटका देते हुए साफ-साफ कह दिया है कि कश्मीर का मुद्दा भारत-पाकिस्तान का द्विपक्षीय मामला है और संयुक्त राष्ट्र इसमें मध्यस्थता नहीं करेगा. संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि किसी तीसरे के दखल देने से अच्छा है कि दोनों देश आपस में बातचीत के जरिए ही इस समस्या का समाधान निकालें.