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अजित डोभाल की बैठक से घबराए इमरान, बेचैन पाक ने अफगानिस्तान पर बुलाई बैठक

भारत की अगुवाई में हुई 'दिल्ली रीजनल सिक्योरिटी डॉयलॉग' मील का पत्थर साबित हो सकता है. एनएसए अजीत डोभाल की अगुवाई में बुलाए गए सम्मेलन की जड़ें काफी गहरी हैं. इसके साथ ही भारत ने अफगानिस्तान के मामले में एक सिलसिले की शुरुआत कर दी है.

Updated on: 10 Nov 2021, 02:02 PM

इस्लामाबाद:

भारत की अगुवाई में हुई 'दिल्ली रीजनल सिक्योरिटी डॉयलॉग' मील का पत्थर साबित हो सकता है. एनएसए अजीत डोभाल की अगुवाई में बुलाए गए सम्मेलन की जड़ें काफी गहरी हैं. इसके साथ ही भारत ने अफगानिस्तान के मामले में एक सिलसिले की शुरुआत कर दी है. एशिया तथा मध्य एशिया में भारत के हितों को साधने में इसकी बड़ी भूमिका होगी. इस बैठक से पाकिस्तान कितना घबरा गया है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि डोभाल की बैठक के ठीक एक दिन बाद इमरान खान ने भी अफगानिस्तान के मुद्दे पर बैठक बुलाई है. पाकिस्तान ने कहा है कि अफगानिस्तान मसले पर बातचीत करने को लेकर वह अमेरिका, चीन और रूस के सीनियर डिप्लोमैट्स की मेजबानी करेगा. पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मोईद युसूफ 'ट्रोइका प्लस' बैठक की अध्यक्षता करेंगे. 

पाकिस्तानी अखबार डॉन की रिपोर्ट मुताबिक रूस, अमेरिका, चीन और पाकिस्तान के प्रतिनिधि अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी से भी मुलाकात करेंगे. रिपोर्ट्स के मुताबिक 10 नवंबर को मुत्ताकी इस्लामाबाद पहुंच रहे हैं. ये बैठक ऐसे समय हो रही है जब भारत ने अफगानिस्तान मसले पर कई देशों के साथ बातचीत की है. इस बैठक को लेकर पाकिस्तान तिलमिलाया हुआ है. बता दें कि काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद से ट्रोइका प्लस की यह पहली बैठक है. इस फॉर्मेट की आख़िरी बैठक अगस्त की शुरुआत में दोहा में हुई थी. रूस द्वारा 19 अक्टूबर को मास्को में एक और बैठक बुलाई गई थी, लेकिन अमेरिका ने लॉजिस्टिक्स का हवाला देते हुए भाग नहीं लिया था.

भारत को क्या फायदा होगा?
भारत को 'दिल्ली रीजनल सिक्योरिटी डॉयलॉग' से काफी फायदा होने वाला है. विदेशी मामलों के जानकारों का कहना है कि इसमें कोई दो राय नहीं कि अफगानिस्तान की स्थिति बेहद जटिल है. ऐसे में माना जा रहा है कि भारत के आपसी तालमेल बढ़ाने की पहल से अफगानिस्तान में चल रहे घटनाक्रमों, सूचनाओं की सीधी और सटीक जानकारी मिल सकेगी. आतंकवाद जैसी स्थितियों को रोकने में सहायता तथा वैश्विक स्तर पर पहल के लिए नए साथी मिल सकेंगे. ऐसा करके भारत अफगानिस्तान और उसके माध्यम से अपने हितों की रक्षा का रोड-मैप बना सकेगा.