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पाक का FATF की कालीसूची में आना तय, इमरान के लिए मुश्किल वक्त

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ (Nawaz Sharif) ने खुलेआम यह कहकर इमरान खान (Imran Khan) सरकार को झटका दे दिया है कि देश एफएटीएफ द्वारा कालीसूची (FATF Black List) में डाले जाने के कगार पर है.

Updated on: 28 Sep 2020, 09:51 AM

लंदन:

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ (Nawaz Sharif) ने खुलेआम यह कहकर इमरान खान (Imran Khan) सरकार को झटका दे दिया है कि देश एफएटीएफ द्वारा कालीसूची (FATF Black List) में डाले जाने के कगार पर है, क्योंकि इसे सैन्य नेतृत्व द्वारा बाहरी मुद्दों में शामिल होने के लिए मजबूर किया गया था. शरीफ, जिनका प्रधानमंत्री के रूप में तीसरा कार्यकाल 2013 से 2017 तक बढ़ा था, ने पाकिस्तानी जनरलों के गुस्से को बढ़ा दिया था, क्योंकि वे नहीं चाहते थे कि वह (शरीफ) उन इस्लामिक आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करें जो भारत और अफगानिस्तान में सीमा पार से आतंकी हमलों को अंजाम देने के लिए सेना द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे थे. नतीजतन, शरीफ को आखिरकार पद छोड़ना पड़ा.

इस्लामाबाद से रायटर की एक रिपोर्ट में शरीफ के हवाले से कहा गया, 'जब हमने बताया कि हमारे मित्र देश हमें बाहरी मुद्दों पर हमारी भागीदारी के बारे में चेतावनी दे रहे हैं, जो कि सेना के इशारे पर किए जा रहे थे, तो हम पर हमला किया गया और इसे एक घोटाले में बदल दिया गया.' वह रविवार को लंदन से एक वीडियो लिंक के माध्यम से पाकिस्तानी विपक्षी दलों के एक सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे. शरीफ ने कहा, 'अब पाकिस्तान को एफएटीएफ जैसे प्लेटफार्मो द्वारा तय किए गए लक्ष्यों को पूरा करने की कोशिश के शर्म से निपटना होगा.' वह फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) का जिक्र कर रहे थे, जो मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फाइनेंस का मुकाबला करने के लिए काम करने वाला ग्लोबल वाचडॉग है.

शरीफ का बयान ऐसे समय में आया है, जब पाकिस्तान अगले महीने होने वाली बैठक में एफएटीएफ द्वारा ब्लैकलिस्टेड किए जाने से बचने की कोशिश कर रहा है. फरवरी में एफएटीएफ की बैठक में, पाकिस्तान ने अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद-रोधी वित्तपोषण मानदंडों का पालन करने के लिए अतिरिक्त चार महीने का समय लिया था, लेकिन चेतावनी दी गई थी कि अगर यह अनुपालन करने में विफल रहा तो उसे कालीसूची में डाल दिया जाएगा. एफएटीएफ द्वारा ब्लैकलिस्ट में शामिल किए जाने पर पाकिस्तान को उसी श्रेणी में रखा जाएगा जिसमें ईरान और उत्तर कोरिया को रखा गया है और इसका मतलब यह होगा कि वह अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों जैसे आईएमएफ और विश्व बैंक से कोई ऋण प्राप्त नहीं कर सकेगा। इससे अन्य देशों के साथ वित्तीय डील करने में भी समस्याओं का सामना करना पड़ेगा.

भले ही शरीफ को भ्रष्टाचार मामले में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा प्रधानमंत्री पद से हटा दिया गया था, लेकिन पाकिस्तान में यह सब जानते हैं कि सेना न्यायपालिका पर भी काफी प्रभाव डालती है. शरीफ ने कॉन्फ्रेंस में यह भी कहा कि पाकिस्तान के इतिहास को देखा जाए तो ज्यादातर सैन्य तानाशाही रही है या जब एक निर्वाचित सरकार थी, तो एक समानांतर सरकार सेना द्वारा चलाई जा रही थी. उन्होंने कहा, 'हमारा संघर्ष इमरान खान के खिलाफ नहीं है, बल्कि उन ताकतों के खिलाफ है, जिन्होंने उनकी अवैध सरकार को सत्ता में स्थापित किया है, जबकि राजनेताओं को जवाबदेही के नाम पर लगातार प्रताड़ित किया गया.'

शरीफ ने कहा, 'हम चाहते हैं कि निर्वाचित नेता देश के मसलों को हल करें, अर्थव्यवस्था का प्रबंधन करें और विदेश नीति तय करें.' उन्होंने इमरान खान सरकार की विदेश नीति की भी आलोचना करते हुए कहा कि पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग पड़ गया है. उन्होंने कश्मीर मुद्दे पर सऊदी अरब और इस्लामिक सहयोग संगठन के साथ पाकिस्तान के संबंधों को मजबूत करने का जिम्मा विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी को दिया. शरीफ ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था चरमरा गई है, महंगाई बढ़ रही है, जबकि पाकिस्तानी रुपया ऐतिहासिक रूप से कम स्तर पर है और आर्थिक विकास में तेजी से मंदी आई है. गुस्साए इमरान खान ने कहा कि शरीफ को इलाज के लिए ब्रिटेन जाने देना गलती थी और इस फैसले का उन्हें अफसोस है.