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Pakistan: PM शहबाज शरीफ बोले- इमरान सत्ता चाहते हैं, भले ही पाकिस्तान की नींव कमजोर हो जाए

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने रविवार को पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के अध्यक्ष इमरान खान पर जुबानी हमला बोला है. उन्होंने कहा कि इमरान खान का लक्ष्य सत्ता हासिल करना है, भले ही इससे देश की नींव कमजोर हो जाए.

Updated on: 04 Dec 2022, 09:07 PM

इस्लामाबाद:

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने रविवार को पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के अध्यक्ष इमरान खान पर जुबानी हमला बोला है. उन्होंने कहा कि इमरान खान का लक्ष्य सत्ता हासिल करना है, भले ही इससे देश की नींव कमजोर हो जाए. जियो न्यूज के मुताबिक, पीटीआई और गठबंधन सरकार आपस में भिड़े हुए हैं, क्योंकि पीटीआई समय से पहले चुनाव कराने पर जोर दे रही है. सत्तारूढ़ गठबंधन ने मध्यावधि चुनाव से इनकार किया है और खान के दबाव में नहीं आने का संकल्प लिया है.

शरीफ ने एक ट्वीट में कहा कि संसदीय लोकतंत्र के खिलाफ इमरान का हालिया बयान उन हमलों की श्रृंखला में ताजा है, जो आधुनिक राष्ट्र-राज्यों में लोकतंत्र के काम करने के तरीके को चुनौती देते हैं. जैसा कि पीटीआई प्रमुख राज्य के संस्थानों के खिलाफ बोलते हैं और सत्तारूढ़ गठबंधन के नेताओं के खिलाफ गालियां देते हैं, शरीफ का मानना है कि उनकी राजनीति का एकमात्र उद्देश्य किसी भी तरह से सत्ता में वापस आना था.

जियो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, प्रधानमंत्री ने कहा, उनकी (खान की) राजनीति का उद्देश्य सत्ता में अपना रास्ता बनाना है, भले ही इसका मतलब देश की नींव को कमजोर करना हो. पीएम का यह बयान पीटीआई प्रमुख द्वारा पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा विधानसभाओं के विघटन को रोकने की अपनी इच्छा साझा करने के बाद आया है, अगर गठबंधन सरकार अगले साल मार्च के अंत तक चुनाव कराने के लिए सहमत हो जाती है.

खान ने एक निजी समाचार चैनल के साथ साक्षात्कार में कहा, यदि वे मार्च के अंत तक चुनाव के लिए तैयार हैं, तो हम विधानसभाओं को भंग नहीं करेंगे, वरना हम केपी और पंजाब विधानसभाओं को भंग करके चुनाव कराना चाहते हैं.

जियो न्यूज ने बताया कि खान ने चुनाव की तारीख की घोषणा जल्द करने का सुझाव देते हुए सवाल किया, वह निर्णय लेने में कितना समय लेंगे? उन्हें या तो हां या ना कहना होगा. हमने पहले ही फैसला कर लिया है. पूर्व प्रधानमंत्री ने चुनाव की तारीख पर सरकार के साथ बातचीत पर अपने सशर्त रुख को रेखांकित करते हुए कहा- क्या वह चाहते हैं कि देश के 66 फीसदी हिस्से में चुनाव हों और फिर आम चुनाव हो?