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पीओके की खदानों को लुटा रहा पाकिस्तान, चीन को दे रहा प्राकृतिक संसाधन

चीनी कंपनियां इस इलाके से बेशकीमती प्राकृतिक संसाधन को लूटने में जुटी हुई है जिसमें सोना, प्लैटिनम, कोबाल्ट और कीमती रत्न जैसे कीमती धातुएं शामिल हैं.

Updated on: 17 Aug 2019, 01:29 PM

नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री इमरान खान ने पाकिस्तान (Pakistan) के स्वतंत्रता दिवस(14 अगस्त) को पाकिस्तान (Pakistan) के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) और गिलगित-बाल्टिस्तान (GB) के लोगों के साथ एकजुटता व्यक्त किया. लेकिन इसकी जमीनी हकीकत इसके ठीक विपरीत है.पाकिस्तान (Pakistan) की इमरान खान सरकार के इशारे पर चीनी कंपनियां गिलगित-बाल्टिस्तान इलाके में प्राकृतिक संसाधनों को लूट रही है. चीनी कंपनियां इस इलाके से बेशकीमती प्राकृतिक संसाधन को लूटने में जुटी हुई है जिसमें सोना, प्लैटिनम, कोबाल्ट और कीमती रत्न जैसे कीमती धातुएं शामिल हैं.

पाकिस्तान (Pakistan) और चीन मिलकर इस इलाके से बड़े पैमाने पर यहप्राकृतिक संसाधनों को लूटने का काम कर रहे हैं, जिसके विरोध में लोग पिछले दिनों सड़कों पर भारी विरोध-प्रदर्शन करते नजर आए. इतना ही नहीं इसका विरोध करने वाले कई नाताओं की आवाज दबाने की भी कोशिश की जा रही है. शौकत कश्मीरी और मुमताज़ खान सहित कई नेताओं, जिन्होंने विदेशी कंपनियों को खनन अनुबंध आवंटित करने के पाकिस्तान (Pakistan) के फैसले पर चिंता व्यक्त की, उन्हें या तो जेल में डाल दिया गया या पीओके से बाहर निकाल दिया गया है.

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बता दें गिलगित-बाल्टिस्तान एक भारतीय क्षेत्र है, जिसपर पाकिस्तान (Pakistan) ने जबरदस्ती कब्जा कर रखा है. गिलगित-बाल्टिस्तान में अक्सर पाकिस्तान (Pakistan) से आजादी को लेकर नारे लगते रहते हैं. वहां के लोग आए दिन सड़कों पर पाकिस्तान (Pakistan) हुकूमत के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन करते नजर आते रहते हैं.

भारत के शीर्ष थिंक टैंक, इंस्टीट्यूट फॉर डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस (आईडीएसए) द्वारा आयोजित पीओके के रणनीतिक क्षेत्र पर तीन साल के शोध परियोजना में यह पता चला है कि गिलगित-बाल्टिस्तान में विदेशी कंपनियों द्वारा लूटी गए भारी पैसे स्थानीय आबादी के लिए अर्जित नहीं की गई थी.

ऐसी ही एक परियोजना से जुड़े विशेषज्ञ, अशोक बहुरिया ने कहा, 'बाल्टिस्तान क्षेत्र में पाए जाने वाले बहुमूल्य खनिज, रत्न, धातुएं और यहां तक ​​की यूरेनियम जैसे संसाधनों को भी लूटा जा रहा है. हालांकि, राजस्व को स्थानीय सरकार के साथ साझा नहीं किया गया.'

बहुरिया ने बताया कि जब भी गिलगित-बाल्टिस्तान में अशांति होती थी, चीनी अधिकारी घबरा जाते थे. कारण यह है कि हाल के वर्षों में चीन ने गिलगित-बाल्टिस्तान में खनन परियोजनाओं में भारी निवेश किया है. गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र चीन-पाकिस्तान (Pakistan) आर्थिक गलियारे (CPEC) परियोजना के लिए महत्वपूर्ण रणनीतिक कनेक्टिविटी भी प्रदान करता है, जिससे बीजिंग इस क्षेत्र से जुड़ा हुआ है.

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अपने गहन शोध के आधार पर आईडीएसए ने हाल ही में पीओके पर एक पुस्तक प्रकाशित की है, जो इसके तीन वरिष्ठ विश्लेषकों, सुरिंदर कुमार शर्मा, यक़ूब उल हसन और बेहुरिया द्वारा संयुक्त रूप से प्रकाशित की गई है. रणनीतिक गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र पर तीन दशकों से अधिक के अनुसंधान का अनुभव रखने वाले सुरिंदर शर्मा ने कहा कि एक तरफ बाल्टिस्तान में प्राकृतिक संसाधनों को सरकार द्वारा लूटा जा रहा है, जबकि दूसरी तरफ पूरे इलाके में सरकार द्वारा उपेक्षा की जा रही है.

उन्होंने आगे कहा कि कोई आश्चर्य नहीं कि जीबी एशिया के सबसे गरीब क्षेत्रों में से एक है, जहाँ लगभग 85 प्रतिशत लोग निर्वाह कृषि पर रहते हैं.आईडीएसए की रिसर्च में कहा गया है कि पाकिस्तान (Pakistan) खनिज विकास निगम का अनुमान है कि गिलगित-बाल्टिस्तान में 1480 सोने की खदानें हैं, जिनमें से 123 सोने की खानों में सोने की बेहतर गुणवत्ता है.

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पाक अधिकृत कश्मीर(PoK) पर पाकिस्तान (Pakistan) के दोहरे मापदंड हैं. एक तरफ वो यह आरोप लगाता है कि भारत को जम्मू और कश्मीर की विशेष स्थिति को रद्द नहीं करना चाहिए था, जबकि पाकिस्तान (Pakistan) ने गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र के प्राकृतिक संसाधनों को लूटकर लोगों का बुनियादी हक छीनने का काम कर रहा है.