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पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान.
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पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान.
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान अपनी पहली उच्च स्तरीय बैठक के लिए अमेरिका दौरे पर जाने वाले हैं उनकी इस यात्रा को लेकर विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान वॉशिंगटन और इस्लामाबाद के बीच तालमेल बैठाने के लिए डबल गेम खेल रहा है. एक तरफ वह अभी भी चीन का करीबी सहयोगी बना हुआ है. इसके जरिए एक तरह से वह दुनिया में बीजिंग के रणनीतिक लक्ष्यों और आधिपत्य को सक्रिय रूप से सहायता, पालन और बढ़ावा दे रहा है.
अमेरिका को रिझाने की कोशिश
इसके साथ ही पाकिस्तान इस क्षेत्र में अपने रणनीतिक महत्व को जानता है और इसलिए संयुक्त राज्य को वित्तीय और सैन्य सहायता हासिल करने के लिए उसे मनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है. पेरिस में रह रहे एक पाकिस्तानी पत्रकार ताहा सिद्दीकी ने कहा, 'पाकिस्तान आर्थिक तंगी से गुजर रहा है और उसे अमेरिकी वित्तीय और सैन्य सहायता की आवश्यकता है. ऐसे में अमेरिका ने अपना रवैया कुछ सख्त किया है. हालांकि चीन ने पाकिस्तान के साथ आर्थिक कॉरिडोर में अच्छा-खासा निवेश किया हुआ है.
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बाजवा भी चाहते हैं अमेरिका से बेहतर संबंध
ताहा के मुताबिक पाकिस्तानी सैन्य प्रमुख क़मर जावेद बाजवा पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ अमेरिका जाएंगे. एक तरह से पाकिस्तान की कमान बाजवा के ही हाथों में है. ऐसे में वह अमेरिका के साथ रिश्ते को पुनर्जीवित करना चाहते हैं. बाजवा जानते हैं कि अफगानिस्तान के मामले में वाशिंगटन को इस्लामाबाद की जरूरत है और अगर आने वाले दिनों में ईरान के साथ कोई संघर्ष होता है तो पाकिस्तान एक बार फिर से अपनी सेवाएं दे सकता है.
इधर चीन के हित साध रहा पाकिस्तान
विशेषज्ञ भी मानते हैं कि अमेरिकी क्षेत्र में चीन के विस्तार को अमेरिका प्रतिबंधित करना चाहता है और इसलिए पाकिस्तान दोहरा खेल खेल सकता है. जिससे वह अमेरिका और चीन दोनों को इस्लामाबाद के साथ जोड़े रख सके. वह दोनों से अधिकतम वित्तीय लाभ चाहता है. ट्रंप प्रशासन का मानना है कि उसने पाकिस्तान पर जो दवाब डाला है उसने पाकिस्तान को थोड़ा नरम किया है. हालांकि सच्चाई इसके बिलकुल विपरीत है.
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तराजू के पलड़ों की तरह संतुलन साध रहा पाक
एम्स्टर्डम स्थित यूरोपियन फाउंडेशन फ़ॉर साउथ एशियन स्टडीज़ के निदेशक जुनैद कुरैशी इस बारे में कहते हैं, 'अमेरिका और चीन के प्रति पाकिस्तान की विदेश नीति में अंतर हो सकता है, फिर भी इसे शक्ति सिद्धांत के संतुलन के रूप में देखा जाता है. पाकिस्तान अपनी वक्ती आवश्यकता के अनुसार झुके हुए तराजू की तरह एक संतुलन स्थापित करता है.'
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