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अमेरिका की मदद महंगी पड़ी पाकिस्तान को, इमरान खान का फूटा दर्द

अफगानिस्तान के हालिया घटनाक्रम और उस पर अमेरिकी नेताओं के तीखे बयानों से पाकिस्तान के वजीर-ए-आजम इमरान खान खासे आहत हैं.

Updated on: 19 Sep 2021, 10:41 AM

highlights

  • अमेरिकी सीनेटर ने लगाया था तालिबान राज पर जश्न मनाने का आरोप
  • इमरान खान ने कहा एक पाकिस्तानी होने के नाते ऐसी बातों से चोट लगी
  • परवेज मुशर्रफ को अमेरिकी मदद लेने के लिए खड़ा किया कठघरे में 

इस्लामाबाद:

अफगानिस्तान के हालिया घटनाक्रम और उस पर अमेरिकी नेताओं के तीखे बयानों से पाकिस्तान के वजीर-ए-आजम इमरान खान खासे आहत हैं. उन्होंने कहा है कि अफगानिस्तान में अमेरिका का साथ देने की बहुत बड़ी कीमत पाकिस्तान ने चुकाई है. उन्होंने यह बात अमेरिकी आरोपों के जवाब में कही, जिसमें कहा गया था कि अफगानिस्तान में तालिबान राज की वापसी के लिए पाकिस्तान ही जिम्मेदार है. रशिया टुडे को दिए साक्षात्कार में इमरान खान ने इस पर खासा गुस्सा भी जाहिर किया. साथ ही उन अमेरिकी नेताओं को आड़े हाथों लिया जो अफगानिस्तान में अमेरिका की नाकामी के लिए पाकिस्तान पर अंगुली उठा रहे हैं. 

अमेरिकी सीनेटर कर रहे पाकिस्तान की आलोचना
गौरतलब है कि अमेरिका की फॉरेन रिलेशंस कमेटी से जुड़े सीनेटर ने पाकिस्तान के खिलाफ तालिबान राज की वापसी पर जश्न मनाने की तीखी टिप्पणी की थी. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए इमरान खान ने कहा, 'एक पाकिस्तानी होने के नाते मुझे कुछ सीनेटर की ऐसी बातों से गहरी चोट पहुंची है. अफगानिस्तान में हुए बदलाव के लिए पाकिस्तान को दोष देती बातों से गहरे तक पीड़ा हुई है.' ध्यान रहे कि अमेरिका पर आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान की स्थिति अधर में लटकने जैसी हो गई थी. उस समय जनरल परवेज मुशर्रफ तख्ता पलट कर सत्ता में आए थे और अपनी सरकार चलाने में अमेरिका से मदद की दरकार कर रहे थे. इसके बाद अमेरिका को अफगानिस्तान में जड़ें जमाने में सहयोग के एवज में परवेज मुशर्रफ को आर्थिक-सामरिक मदद मिलनी शुरू हुई थी. 

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पूर्ववर्ती सरकारों को भी कोसा
हालांकि इमरान खान उसे एक गलत फैसला मानते हैं. वह मानते हैं कि तत्कालीन पाकिस्तान हुक्मरान के इस फैसले से मुजाहिदीन संगठन पाकिस्तान से दूर हो गए थे, जिन्हें दो दशक पहले सोवियत संघ के विरोध के लिए पाकिस्तान की खुफिया संस्था ने खड़ा किया था. इस पर इमरान खान कहते हैं कि पाकिस्तान ने मुजाहिदीनों को विदेशी कब्जे के खिलाफ लड़ने के लिए प्रशिक्षित किया था. मुजाहिदीन अफगानिस्तान में जिहाद कर रहे थे. अमेरिका का सहयोगी बनने पर मुजाहिदीनों ने पाकिस्तान पर सांठगांठ का आरोप लगा निगाहें फेर लीं. गौरतलब है कि पाकिस्तान की इमरान सरकार ने हाल में तालिबान की वापसी को अफगानिस्तान की स्वतंत्रता करार दिया था.