पाकिस्‍तान ने बिना चर्चा के पारित कर दिया जनरल बाजवा का कार्यकाल बढ़ाने वाला विधेयक

साउथ एशियन्स अगेंस्ट टेरेरिज्म ऐंड फॉर ह्यूमन राइट्स (साथ) फोरम के बैनर तले समूह ने बुधवार को कहा कि जिस तरह से पाकिस्तान की सरकार और मुख्य विपक्षी दलों ने सैन्य अधिनियम में संशोधनों को जल्दबाजी में पारित करवाया वह चिंता का विषय है.

साउथ एशियन्स अगेंस्ट टेरेरिज्म ऐंड फॉर ह्यूमन राइट्स (साथ) फोरम के बैनर तले समूह ने बुधवार को कहा कि जिस तरह से पाकिस्तान की सरकार और मुख्य विपक्षी दलों ने सैन्य अधिनियम में संशोधनों को जल्दबाजी में पारित करवाया वह चिंता का विषय है.

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Sunil Mishra
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पाकिस्‍तान ने बिना चर्चा के पारित कर दिया जनरल बाजवा का कार्यकाल बढ़ाने वाला विधेयक

पाक ने जनरल बाजवा का कार्यकाल बढ़ाने संबंधी विधेयक बिना चर्चा के पारित( Photo Credit : File Photo)

पाकिस्तानी सेना प्रमुख के रूप में जनरल कमर बाजवा को तीन साल का विस्तार देने वाले विधेयकों को संसद से बिना किसी चर्चा के जल्दबाजी में पारित करवाया गया. असंतुष्ट पाकिस्तानियों के एक समूह ने इसकी जानकारी दी है. जियो न्यूज के मुताबिक सेना, नौसेना और वायुसेना प्रमुखों और ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी के अध्यक्ष की सेवानिृवत्ति की आयु 60 वर्ष से बढ़ाकर 64 वर्ष करने संबंधी विधेयकों को छोटे दलों के विरोध के बावजूद उच्च सदन अथवा सीनेट से पारित करवा लिया गया.

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साउथ एशियन्स अगेंस्ट टेरेरिज्म ऐंड फॉर ह्यूमन राइट्स (साथ) फोरम के बैनर तले समूह ने बुधवार को कहा कि जिस तरह से पाकिस्तान की सरकार और मुख्य विपक्षी दलों ने सैन्य अधिनियम में संशोधनों को जल्दबाजी में पारित करवाया वह चिंता का विषय है. पूर्व पत्रकारों एवं राजनयिकों के समूह ‘साथ’ ने एक वक्तव्य में कहा, ‘‘इस चर्चा के बिना कि इस तरह के कानून की जरूरत है भी या नहीं, विधेयकों को पारित करवा लिया गया. इसमें पाकिस्तान में लोकतंत्र के भविष्य पर इस तरह के कदम से पड़ने वाले असर के बारे में भी विचार नहीं किया गया.’’

डॉन के मुताबिक सीनेट के अध्यक्ष सादिक सांजरानी ने विधेयक पारित होते ही सत्र स्थगित कर दिया. सीनेट का सत्र महज 20 मिनट चला. वक्तव्य में कहा गया, ‘‘इतिहास में दर्ज है कि अपनी शक्ति को लंबे समय तक बनाए रखने के लिए पाकिस्तान के सेना प्रमुखों ने पाकिस्तान में बार-बार लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बाधित है.’’ इसमें कहा गया, ‘‘सेना पहले तख्तापलट कर चुकी है और उसके प्रमुखों ने अपना कार्यकाल शक्ति के बल पर खुद बढ़ा लिया.

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एक उदाहरण ऐसा भी है जब पाकिस्तान के राष्ट्रपति ने दवाब के कारण सेना प्रमुख का कार्यकाल बढ़ाया था.’’ ‘साथ’ ने राजनीतिक वर्ग के अभूतपूर्ण आत्मसमर्पण की निंदा की.

Source : Bhasha

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